बिहार में मौसम एक बार फिर बदलाव की ओर है। मौसम विभाग के अनुसार, 16 जुलाई से राज्य में मानसून पुनः सक्रिय होगा, जिससे बारिश की गतिविधियाँ तेज होंगी। विशेष रूप से उत्तर बिहार के जिलों में दक्षिण बिहार की तुलना में अधिक वर्षा होने की संभावना है। मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि 16 और 17 जुलाई को मानसूनी हवाएं पूरी तरह अनुकूल हो जाएंगी, जिससे बारिश में वृद्धि होगी। हालांकि, अगले चार दिनों तक तापमान में कोई बड़ा उतार-चढ़ाव नहीं होने की उम्मीद है।
पटना में बारिश और वज्रपात की चेतावनी
राजधानी पटना में भी मौसम विभाग ने शुक्रवार को बादल छाए रहने और बारिश की संभावना जताई है। विभाग के अनुसार, पटना सहित कई क्षेत्रों में एक-दो स्थानों पर वज्रपात के साथ हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। पिछले 24 घंटों में पटना में लगभग 6 मिमी वर्षा दर्ज की गई है। बुधवार रात से गुरुवार दोपहर तक शहर के विभिन्न हिस्सों में रुक-रुक कर बारिश हुई, जिसमें कुछ स्थानों पर तेज बौछारें भी देखी गईं। गुरुवार को पटना का न्यूनतम तापमान 25.9 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 31 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से कुछ कम है।
35 जिलों में दर्ज हुई वर्षा
मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, गुरुवार को बिहार के 35 जिलों में हल्की से मध्यम बारिश हुई, जबकि अरवल, जहानाबाद और भभुआ में वर्षा नहीं हुई। जमुई के चकाई में सर्वाधिक 32.2 मिमी बारिश दर्ज की गई। इसके अलावा, भोजपुर, पूर्वी चंपारण और किशनगंज में 46 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलीं, जिससे स्थानीय स्तर पर कुछ नुकसान की आशंका है।
सामान्य से 52% कम बारिश, किसानों की बढ़ी चिंता
इस वर्ष बिहार में मानसून ने 17 जून को दस्तक दी थी। शुरुआत में अच्छी बारिश हुई, लेकिन लगभग एक सप्ताह बाद से ही वर्षा की गति धीमी पड़ गई। मौसम विभाग के मुताबिक, अब तक राज्य में सामान्य से 52% कम बारिश हुई है। जहाँ इस अवधि तक औसतन 275.1 मिमी वर्षा होनी चाहिए थी, वहीं अभी तक केवल 133.2 मिमी बारिश दर्ज की गई है। इस कमी के कारण किसानों की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि धान की रोपाई सहित अन्य फसलों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
हालांकि, मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 16 जुलाई के बाद मानसूनी स्थितियाँ बेहतर होंगी और बारिश की कमी कुछ हद तक पूरी हो सकेगी। कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को सलाह दी है कि वे मौसम अपडेट पर नजर रखें और आवश्यक सिंचाई प्रबंधन करें।