दिसंबर का मध्य आते-आते बिहार में मौसम (Bihar Weather) ने अपना रुख और सख्त कर लिया है। सुबह होते ही घना कोहरा सड़कों पर रफ्तार को जकड़ ले रहा है, जबकि दिन चढ़ने के बाद भी ठंड का असर कम नहीं हो पा रहा। रातें पहले से ज्यादा सिहरन भरी हो चुकी हैं और अब दिन के तापमान में भी गिरावट ने आम जनजीवन को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। मौसम के इस बदले मिजाज के पीछे बड़े मौसमी सिस्टम सक्रिय हैं, जिनका असर आने वाले दिनों में और गहराने वाला है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के ताजा पूर्वानुमान के मुताबिक 17 दिसंबर से बिहार में ठंड का प्रभाव तेज होगा और अगले छह दिनों तक तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की जा सकती है। हालात इस ओर इशारा कर रहे हैं कि 22 दिसंबर के बाद कई जिलों में ‘कोल्ड डे’ जैसी स्थिति बन सकती है, जब दिन में भी धूप राहत देने में नाकाम रहेगी और कंपकंपी महसूस होगी। यह संकेत खासतौर पर उन इलाकों के लिए चिंताजनक हैं, जहां पहले से ही न्यूनतम तापमान सामान्य से नीचे बना हुआ है।

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में एक नया पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हुआ है। इसी सिस्टम के कारण उत्तर भारत में ठंडी और शुष्क पछुआ हवाओं का प्रवाह तेज हुआ है, जो अब बिहार तक असर दिखा रहा है। इन हवाओं ने न सिर्फ रात के तापमान को तेजी से नीचे गिराया है, बल्कि दिन की गर्माहट को भी कमजोर कर दिया है। यही वजह है कि धूप निकलने के बावजूद ठंड का असर लगातार बना हुआ है और लोगों को गर्म कपड़ों का सहारा लेना पड़ रहा है।
17 दिसंबर को राजधानी पटना समेत गया, पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, कटिहार, अररिया, किशनगंज, बक्सर, भोजपुर और पूर्णिया में घने कोहरे की संभावना जताई गई है। सुबह के समय दृश्यता बेहद कम रह सकती है, जिससे सड़क और रेल यातायात प्रभावित होने का खतरा बढ़ गया है। स्कूल जाने वाले बच्चों, दफ्तर के लिए निकलने वाले कर्मचारियों और हाईवे पर चलने वाले वाहनों के लिए यह समय खासा चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। प्रशासन और आम लोगों दोनों के लिए सतर्कता जरूरी हो गई है।
उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर, वैशाली और गोपालगंज जिलों में शीतलहर का अलर्ट जारी किया गया है। इन इलाकों में रात का तापमान तेजी से गिर सकता है और तेज ठंडी हवाओं के कारण ठंड का असर कहीं अधिक तीखा महसूस होगा। खुले खेतों में काम करने वाले किसान, मजदूर और सुबह-सुबह बाहर निकलने वाले लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है, क्योंकि लंबे समय तक ठंड के संपर्क में रहने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
IMD का आकलन यह भी बताता है कि 22 दिसंबर के बाद ठंड एक नए चरण में प्रवेश कर सकती है। इस दौरान सिर्फ रातें ही नहीं, बल्कि दिन भी ठिठुरन भरे हो सकते हैं। ‘कोल्ड डे’ की स्थिति तब बनती है जब अधिकतम तापमान सामान्य से काफी नीचे चला जाए। ऐसे हालात में सारण, भागलपुर, पूर्वी चंपारण, बक्सर, गया और सीतामढ़ी जैसे जिलों में न्यूनतम तापमान 8 से 10 डिग्री सेल्सियस के आसपास पहुंच सकता है, जो इस मौसम के लिहाज से काफी कम माना जाता है।
बीते 24 घंटों के तापमान आंकड़ों पर नजर डालें तो भागलपुर का सबौर राज्य का सबसे ठंडा स्थान रहा, जहां न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे दर्ज किया गया। पटना में भी ठंड का असर साफ दिखाई दे रहा है। भले ही राजधानी का न्यूनतम तापमान अभी लगभग 14 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है, लेकिन अधिकतम तापमान में आई गिरावट के कारण दिन के समय भी ठंड का एहसास लगातार बढ़ रहा है।
मौसम विभाग ने साफ चेतावनी दी है कि आने वाले चार दिन बिहार के लिए निर्णायक साबित हो सकते हैं। सुबह और शाम के समय हल्के से मध्यम कोहरे के साथ ठंड का असर और गहराएगा। दिसंबर के तीसरे सप्ताह में ठंड की चुभन अपने चरम पर पहुंच सकती है। ऐसे में बुजुर्गों, बच्चों और पहले से बीमार लोगों को विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत होगी। बदलते मौसम के इस दौर में सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव बन सकती है।





















