बिहार अब केवल कृषि और पर्यटन के लिए ही नहीं, बल्कि फार्मास्युटिकल और चिकित्सा उपकरण विनिर्माण के क्षेत्र में भी बड़ी पहचान बनाने की ओर अग्रसर है! उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने सोमवार को बिहार विधानसभा में 2025-26 का बजट पेश करते हुए इस दिशा में एक ऐतिहासिक घोषणा की।
सरकार ने “बिहार फार्मास्युटिकल प्रमोशन पॉलिसी, 2025” को लागू करने का फैसला किया है, जिससे बिहार को एक प्रमुख दवा और चिकित्सा उपकरण विनिर्माण केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। इस नीति का मुख्य उद्देश्य न केवल औद्योगिक और शैक्षणिक विकास को बढ़ावा देना है, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा करना है।
बिहार को फार्मास्युटिकल हब बनाने की योजना
इस नीति के तहत अनुसंधान और विकास (R&D) को मजबूत करने, पर्यावरण-अनुकूल विनिर्माण को बढ़ावा देने और औद्योगिक-शैक्षणिक सहयोग को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया जाएगा। इससे बिहार में नवाचार, निवेश और फार्मास्युटिकल उत्पादन को एक नई दिशा मिलेगी।
- फार्मा उद्योग को मिलेगा बढ़ावा: बिहार अब केवल उपभोक्ता राज्य नहीं रहेगा, बल्कि फार्मा उत्पादों के निर्माण में अग्रणी राज्य बनने की ओर बढ़ेगा।
- स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूती: स्थानीय स्तर पर दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के निर्माण से स्वास्थ्य सेवाओं की लागत में कमी आएगी और राज्य के लोग सस्ती और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवाओं का लाभ उठा सकेंगे।
- नौकरी के नए अवसर: इस नीति के तहत प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा।
- पर्यावरण-अनुकूल विनिर्माण: उद्योगों को ग्रीन टेक्नोलॉजी अपनाने और प्रदूषण नियंत्रण में सरकार के दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
सरकार का विजन: बिहार को दवा उद्योग का केंद्र बनाना
वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने बजट पेश करते हुए कहा कि “बिहार को आत्मनिर्भर बनाना हमारी सरकार की प्राथमिकता है। फार्मास्युटिकल प्रमोशन पॉलिसी, 2025 के तहत बिहार को एक प्रमुख दवा उत्पादन केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा, जिससे उद्योग, शिक्षा और रोजगार के नए द्वार खुलेंगे।”