“दो लोगों की शासन की पिसती चक्की से निकलने के लिए लोग छटपटा रहे हैं और बिहार से जनसुराज की सुनामी उठने वाली है।” उक्त बातें जनसुराज विचार मंच के तहत दिघवा दुबौली में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रोफेसर चंदेश्वर प्रसाद कुशवाहा ने कहीं। उन्होंने कहा कि प्रबुद्ध जनों को हाशिए पर रखकर कुछ लोग शासन कर रहे हैं और प्रबुद्ध लोग चुपचाप सहन करते हैं। अब वक्त आ गया है अच्छे लोगों को शासन में हिस्सेदारी लेकर बिहार का विकास करने के लिए। उन्होंने कहा कि 33 सालों से हम लोग ठगे गए हैं और अब्राहम लिंकन की उक्ति प्रजातंत्र मूर्खों का शासन है, बिहार में चरितार्थ हुई है। धनु पांडेय ने कहा कि जन सुराज के प्रणेता प्रशांत किशोर की बढ़ती लोकप्रियता से सब घबराए हुए हैं। आलोक कुमार सिंह ने कहा कि प्रशांत की गहराई को मापने का किसी दल के पास पैमाना हीं नहीं है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संजय पराशर ने कहा कि देश की किसी भी क्रांति की शुरुआत बिहार से हुई है और इस बार भी एक राजनीतिक क्रांति की शुरुआत हो चुकी है। अजय भारद्वाज ने कहा कि बिहार को अगड़ी पिछड़ी, दलित महादलित में बंटवारा कर फूट डालने वालों से सावधान होने का वक्त आ चुका है। कार्यक्रम को सेवा निवृत्त प्राचार्य शंकर महतो ने संबोधित करते हुए कहा कि बिहार की समस्याओं को सरकारों ने नजर अंदाज किया जिसकारण बिहार आज पलायन का दर्द झेल रहा है। कार्यक्रम को आलोक कुमार सिंह,राजु मिश्रा, प्रोफेसर सत्य प्रकाश, प्रोफेसर सुरेन्द्र सिंह,अरूण कुमार सिंह,धनु पांडेय, सुनील कुमार श्रीवास्तव ,गणनाथ तिवारी, अनिल कुमार पाण्डेय, जीतेन्द्र कुमार,जेपी सेनानी चन्द्रमा सिंह,दीनानाथ सिंह,अवध सिंह , हैदर अली,विकास वर्मा आदि ने संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन सेवा निवृत्त प्राचार्य ब्रजकिशोर सिंह ने किया और अध्यक्षता कवि विपिन बिहारी बैकुंठपुरी ने किया।