वॉशिंगटन/नई दिल्ली : पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के प्रमुख बिलावल भुट्टो जरदारी ने पाकिस्तान में आतंकवाद में बढ़ोतरी के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया है। वॉशिंगटन में एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ पहुंचे भुट्टो ने दावा किया कि 2021 में अमेरिका के अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी के बाद छोड़े गए हथियार और उपकरण आतंकवादी समूहों के हाथ लग गए, जिससे आतंकी घटनाओं में उछाल आया है।
उनका यह बयान तब आया है जब हाल के दिनों में भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष ने क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ा दिया है।
अमेरिका पर गंभीर आरोप
भुट्टो ने कहा, “अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद पाकिस्तान को भारी नुकसान उठाना पड़ा। छोड़े गए उन्नत हथियार आतंकवादियों के लिए खतरा बन गए हैं।” उनका दावा 2023 की एक रैंड कॉर्पोरेशन रिपोर्ट का समर्थन करता है, जिसमें अनुमान लगाया गया कि 300,000 से अधिक हथियार अफगानिस्तान में लापता हो गए, जो क्षेत्रीय उग्रवाद को बढ़ावा दे सकते हैं। हालांकि, उन्होंने आतंकवाद से निपटने के लिए क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की भी वकालत की।
भारत-पाक तनाव और कूटनीति
भुट्टो का यह दौरा ऐसे समय में हुआ है जब भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर झड़पें बढ़ी हैं। भुट्टो की यात्रा को क्षेत्रीय समर्थन जुटाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
भारत और अमेरिका का जवाब
भारत ने लंबे समय से पाकिस्तान पर आतंकी संगठनों, जैसे जैश-ए-मोहम्मद, को पालने का आरोप लगाया है। 2019 की एक संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के आतंकी वित्तपोषण से जुड़े सबूत मिले थे। वहीं, अमेरिकी सांसद ब्रैड शर्मन ने हाल ही में भुट्टो को आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने की सलाह दी और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की।
अमेरिका ने अभी तक भुट्टो के बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। राजनयिक विश्लेषकों का मानना है कि भुट्टो का अमेरिका पर आरोप लगाना पाकिस्तान की आंतरिक नाकामी से ध्यान हटाने की कोशिश हो सकती है। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि क्षेत्रीय शांति के लिए भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सार्थक वार्ता जरूरी है।यह घटनाक्रम भारत-पाक संबंधों और वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक नया मोड़ ला सकता है। क्या भुट्टो की यह रणनीति कामयाब होगी, यह आने वाले दिनों में साफ होगा।