मुंबई : महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। बीजेपी विधायक नितेश राणे के विवादास्पद बयान ‘बीजेपी का मुख्यमंत्री सबका बाप’ ने सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन में तनाव पैदा कर दिया है। इस बयान पर अब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रतिक्रिया देते हुए खुद को महाराष्ट्र का सेवक बताया है, जिससे इस मुद्दे पर सियासी बहस और तेज हो गई है।
नितेश राणे का विवादित बयान
7 जून को मध्य महाराष्ट्र के धाराशिव में एक बीजेपी कार्यकर्ता सम्मेलन में नितेश राणे ने दावा किया था कि बीजेपी सभी दलों की ‘बाप’ है। उन्होंने कहा, “देश का पीएम बीजेपी का है, राज्य का सीएम भी बीजेपी का है। कोई भी (शिंदे सेना) यहां-वहां नाचें, लेकिन अंत में सबके बाप के तौर पर बीजेपी का नेता ही मुख्यमंत्री बना रहेगा।”
इस बयान से महायुति गठबंधन, जिसमें बीजेपी, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) शामिल हैं, के भीतर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली।
फडणवीस की प्रतिक्रिया
छत्रपति संभाजीनगर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “मैंने नितेश राणे की यह टिप्पणी नहीं सुनी है। मैं खुद को महाराष्ट्र का सेवक मानता हूं, न कि किसी का बाप।” फडणवीस ने नितेश की टिप्पणी पर सीधे टिप्पणी करने से परहेज किया, लेकिन उनकी बातों से साफ है कि वे इस विवाद से दूरी बनाना चाहते हैं।
इससे पहले, बीजेपी के राज्य अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने भी इस बयान को हल्के में लेने की कोशिश की थी।
नारायण राणे का बयान
नितेश राणे के पिता और कोंकण क्षेत्र से लोकसभा सांसद नारायण राणे ने अपने बेटे के बयान की निंदा की है। उन्होंने कहा, “बाप शब्द का इस्तेमाल करना गलत था। मैंने नितेश को समझा दिया है कि मुख्यमंत्री किसी के पिता नहीं, बल्कि जनता के सेवक हैं। अब यह विवाद खत्म हो गया है।” नारायण राणे ने अपने 1990 के दशक के मुख्यमंत्री कार्यकाल का हवाला देते हुए कहा कि वे हमेशा लोगों से ‘साहब’ कहने के बजाय सेवा करने की बात कहते थे।
गठबंधन में तनाव
नितेश राणे के बयान से शिवसेना और अन्य सहयोगी दलों में नाराजगी देखी जा रही है। खासकर, एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना, जो पहले से ही बीजेपी के साथ सत्ता साझेदारी को लेकर असहज रही है, इस बयान को गठबंधन एकता के लिए खतरा मान रही है। नितेश के बड़े भाई नीलेश राणे ने भी सोशल मीडिया पर चेतावनी देते हुए अपने भाई से जिम्मेदारी से बोलने की अपील की थी, हालांकि बाद में उनका ट्वीट हटा लिया गया।
इस विवाद से गठबंधन की एकता पर सवाल उठ रहे हैं। पार्टी नेतृत्व अब इस मुद्दे को शांत करने की कोशिश में जुटा है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना महाराष्ट्र की सियासत में आने वाले दिनों में और उथल-पुथल ला सकती है। क्या नितेश राणे के बयान से बीजेपी और उसके सहयोगियों के रिश्तों में दरार बढ़ेगी, यह देखना अभी बाकी है।