पटना में आरजेडी के समर्थकों द्वारा पोस्टर लगाकर लालू प्रसाद को टाइगर बताने को लेकर खूब सियासत हो रही है। बीजेपी ने जहां सीएम नीतीश कुमार को असली टाइगर बताया है तो वहीं जेडीयू ने लालू को जंगलराज का टाइगर करार दिया है जबकि सीएम नीतीश कुमार को कानून का राज वाला टाइगर बताया है। भाजपा विधायक रामसूरत राय ने कहा कि लालू यादव को फंसाया नहीं गया, वह खुद अपने कार्य से फंसे हैं। टाइगर जिंदा है के पोस्टर पर कहा कि अगर टाइगर जिंदा है तो उस पर कानून जरूर कार्रवाई करेगा।

इधर, नीतीश कुमार को लेकर तेजस्वी यादव के बयान पर बिहार सरकार के मंत्री संजय सरावगी ने कहा कि नीतीश कुमार ने बिहारी का मान बढ़ाया है। तेजस्वी कहते हैं झुकने वाले मुख्यमंत्री यह गलत बात है। वहीं टाइगर है जिंदा के पोस्टर पर कहा कि लालू प्रसाद यादव को कोर्ट में दो नंबर के काम का हिसाब देना पड़ेगा।

बीजेपी के फायर ब्रांड विधायक हरीभूषण सिंह बचौल ने कहा है कि यह अपने मुंह मिया मिट्ठू बनने वाली बात है। बिहार की राजनीति के टाईगर नीतीश कुमार हैं और नीतीश कुमार के सामने बिहार में कोई नहीं है। नीतीश कुमार रूपी टाईगर अभी जिंदा है। लालू प्रसाद फूंके हुए कारतूस बन चुके हैं। लालू प्रसाद सजायाफ्ता हैं और पंचायत का चुनाव भी नहीं लड़ सकते हैं। समर्थक अपने खुशी से पोस्टर लगाते हैं लेकिन लालू प्रसाद और आरजेडी और कांग्रेस का अध्याय बिहार में समाप्त हो चुका है।

उन्होंने कहा कि ईडी सीबीआई देश की स्वतंत्र संस्था है और अभी जो लालू परिवार के खिलाफ जांच चल रही है उसका पेटिशन आरजेडी के ही नेता शिवानंद तिवारी ने दिया था। लालू प्रसाद जब पहली बार जेल गए उस वक्त बीजेपी की सरकार नहीं थी। जब उन्हें सजा हुई उस वक्त केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। अभी जो ईडी पूछताछ कर रही है वह शिवानंद तिवारी के पेटिशन पर ही पूछ रही है। इससे बीजेपी का कोई लेना देना नहीं है।

वहीं जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा है कि जंगलराज के टाइगर जिंदा तो हैं ही उससे कौन इनकार कर सकता है। न्यायपालिका ने उनको राजनीतिक तौर पर अयोग्य घोषित कर दिया है। लेकिन अब बदलता दौर है, कानून के राज का टाइगर हैं नीतीश कुमार। नीरज ने कहा कि लालू प्रसाद जंगलराज के टाइगर बने रहें और कानून के राज के टाइगर नीतीश कुमार हैं।
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वहीं सदन में आऱजेडी के द्वारा शराबबंदी को खत्म करने की मांग पर उन्होंने कहा कि राजद को अपना संविधान फाडकर मरीन ड्राइव के पास फेंक देना चाहिए क्योंकि उसमे लिखा गया है कि नशाखोरी गलत है। राष्ट्रीय जनता दल ने लोग सभा चुनाव के दौरान शराब बनाने वाली कंपनी से करोड़ों रुपए लिए थे, तो क्या वह महिलाओं के जीवन में आग लगाने के लिए लिए गए थे।
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तेजस्वी यादव कार्यकर्ता दर्शन तो करते हैं लेकिन एक बार भी शराबबंदी को सफल बनाने के लिए किसी तरह का कोई अभियान नहीं चलाया। आरजेडी के लोगों को बताना चाहिए कि शराब की कंपनियों को कौन सा आश्वासन दिया था कि राष्ट्रीय जनता दल के खाते में इतना पैसा गया और यही कारण है कि उन्हें महिलाओं का कोप भाजन बनना पड़ा और राजनीतिक श्राप मिला कि चार सीट पर लटक गए।