मुम्बई: शुशांत सिंह राजपूत का केस बंद हो चुका है। कोई सबूत गवाह कात नहीं आए। सालों तक बैक एंड वाईट के खेल में उलझो मीडिया पुलिस और न्यायपालिका ने अंतत: ये मान लिया कि शुशात की हत्या कथित उन आरोपियों ने नहीं की या करवाई जिनका नाम केस से जुड़ा हुआ है। बहरहाल शूशांत ही हत्या से पूर्व दिश साल्यान की भी हत्या हुई थी जिसे लेकर बीजेपी नेता नारायण राणें ने खुलासा किया है कि उद्धव ठाकरे ने उन्हें 2020 में इस केस को लेकर प्रेस में अपने बेटे आदित्य का नाम लेने से मना किया था। राणे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘दिशा सालियन के पिता को हाई कोर्ट जाना पड़ा क्योंकि उन्हें अभी तक न्याय नहीं मिला है। उनके पिता को लगा कि उन्हें पुलिस से न्याय नहीं मिलेगा, इसलिए वे एचसी गए।
उद्धव ठाकरे के पीए (जो अब शायद विधायक हैं) ने मुझे फोन किया। मैं उस समय घर जा रहा था। उसने कहा कि उद्धव ठाकरे मुझसे बात करना चाहते हैं। पीए ने पूछा कि क्या आप बात करेंगे? मैंने कहा कि वह कहां हैं और उन्हें फोन दीजिए।’ नारायण राणे ने कहा, ‘जैसे ही उद्धव ठाकरे ने फोन लिया, मैंने कहा जय महाराष्ट्र। उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं अभी भी जय महाराष्ट्र कहता हूं, तो मैंने जवाब दिया कि मैं मरते दम तक जय महाराष्ट्र कहता रहूंगा। जय महाराष्ट्र मातोश्री की संपत्ति नहीं है। यह छत्रपति शिवाजी महाराज की संपत्ति है।’ राणे ने कहा कि जब वह मुख्यमंत्री थे, उद्धव ठाकरे ने कोरोना महामारी के दौरान मुझे 2 बार फोन किया। उन्होंने दिशा सालियन मामले में अपने बेटे को ना घसीटने की गुजारिश की। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने आगे दावा किया, ‘मैंने ठाकरे से कहा कि किसी का नाम नहीं लिया है। केवल अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक मंत्री का जिक्र किया था।’
राणे ने कहा कि अब तक जुटाए गए सबूतों के आधार पर एफआईआर दर्ज करें और उसे (आदित्य) गिरफ्तार करें। महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा नीत महायुति गठबंधन ने दिशा सालियान मामले को राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों में उठाया था, जिसके बाद तीखी नोकझोंक हुई। शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने कहा कि वह उन पर लगाए जा रहे आरोपों का जवाब अदालत में देंगे। महायुति के विधायकों ने जानना चाहा कि उसके पिता ने जिनके नाम लिए हैं, क्या उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा। इससे एक दिन पहले ही सतीश सालियान ने अपनी बेटी की मौत के मामले की नए सिरे से जांच की मांग की थी। उन्होंने कहा कि याचिका में उच्च न्यायालय से आदित्य ठाकरे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का निर्देश देने की मांग रखी है