इंफाल : मणिपुर में एक बार फिर सियासी हलचल तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने बुधवार को राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश किया है। इस सिलसिले में 10 विधायकों ने इंफाल के राजभवन में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात की। इस घटनाक्रम से राज्य में 103 दिनों से लागू राष्ट्रपति शासन के जल्द खत्म होने की उम्मीद जगी है।
10 विधायकों ने की राज्यपाल से मुलाकात
जिन 10 विधायकों ने राज्यपाल से मुलाकात की, उनमें बीजेपी के 8 विधायक, नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) का 1 विधायक और 1 निर्दलीय विधायक शामिल हैं। मुलाकात के बाद निर्दलीय विधायक सपाम निशिकांत सिंह ने कहा, “मणिपुर की जनता एक लोकप्रिय सरकार चाहती है। यही वजह है कि हमने राज्यपाल से मुलाकात की। हमने उनसे लोकप्रिय सरकार के गठन और राष्ट्रपति शासन के बाद बदली परिस्थितियों पर चर्चा की। राज्यपाल की प्रतिक्रिया सकारात्मक रही।”
103 दिन पहले लागू हुआ था राष्ट्रपति शासन
बता दें कि मणिपुर में इसी साल 13 फरवरी को मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था। तब से लेकर अब तक 103 दिन बीत चुके हैं। यह इस्तीफा राज्य में लंबे समय से चली आ रही जातीय हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता के बीच आया था। बीजेपी का यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 29 मई को सिक्किम के भारत में विलय की स्वर्ण जयंती समारोह में शामिल होने के लिए पूर्वोत्तर के दौरे पर आ रहे हैं।
हिंसा से प्रभावित रहा है मणिपुर
मणिपुर पिछले कुछ सालों से मेइती और कुकी-जो समुदायों के बीच जातीय हिंसा से जूझ रहा है। 2023 में शुरू हुई इस हिंसा में अब तक 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, हालांकि स्थानीय लोगों का मानना है कि यह आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा हो सकता है। अल जजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मेइती और कुकी-जो समुदायों के बीच तनाव ने राज्य को जातीय आधार पर बांट दिया है। दोनों समुदायों की मिलिशिया ने एक-दूसरे के खिलाफ ब्लॉकेड्स बना रखे हैं। इस हिंसा ने हजारों लोगों को विस्थापित कर दिया और कई घरों को जलाकर राख कर दिया।
पूर्व मुख्यमंत्री की सुरक्षा पर विवाद
इस बीच, मणिपुर प्रशासन ने पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की सुरक्षा में कटौती के दावों का खंडन किया है। प्रशासन ने स्पष्ट किया कि सिंह को अब भी ‘जेड-प्लस’ सुरक्षा कवर प्राप्त है, जिसमें केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के जवान तैनात हैं। हालांकि, उनके साथ तैनात कुछ अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों को वापस बुला लिया गया है।
क्या है मणिपुर की मौजूदा राजनीतिक स्थिति?
मणिपुर विधानसभा में कुल 60 सीटें हैं। बीजेपी के पास वर्तमान में 32 विधायक हैं, जो बहुमत के लिए जरूरी 31 के आंकड़े से ज्यादा है। इसके अलावा, बीजेपी को नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के 5 और जेडी(यू) के 6 विधायकों का समर्थन भी हासिल है। हालांकि, 2024 में एनपीपी ने बीजेपी से समर्थन वापस ले लिया था, जिसके बाद राज्य में राजनीतिक संकट और गहरा गया था। अब बीजेपी के इस नए दावे के बाद मणिपुर में एक बार फिर लोकप्रिय सरकार बनने की संभावना बढ़ गई है।
थाडौ जनजाति की मांगें भी सुर्खियों में
हाल ही में मणिपुर की थाडौ जनजाति ने अपनी अलग पहचान और विरासत को संरक्षित करने के लिए एक 10-सूत्री घोषणा जारी की थी। इस घोषणा में थाडौ समुदाय ने खुद को कुकी समूह से अलग बताते हुए मणिपुर, असम, मिजोरम और नगालैंड में एक अलग अनुसूचित जनजाति के रूप में मान्यता की मांग की है। यह मांग भी राज्य के मौजूदा जातीय संकट का एक हिस्सा है।
मणिपुर में सियासी और सामाजिक उथल-पुथल के बीच बीजेपी का सरकार बनाने का दावा राज्य की स्थिति को कैसे प्रभावित करेगा, यह देखना बाकी है।