दिल्ली की सियासत में बड़ा उलटफेर हुआ है। 26 साल बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आम आदमी पार्टी (आप) को सत्ता से बेदखल कर राजधानी की गद्दी पर कब्जा जमा लिया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का लगातार चौथी बार सरकार बनाने का सपना चकनाचूर हो गया। 2013, 2015 और 2020 में दिल्ली की सत्ता पर काबिज रहे केजरीवाल के लिए यह सिर्फ एक चुनावी हार नहीं बल्कि उनके राजनीतिक भविष्य पर भी बड़ा सवाल बन गया है।
दिल्ली में AAP को तगड़ा झटका… अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया दोनों हारे
इस हार के साथ ही केजरीवाल की ‘कट्टर ईमानदारी’ की छवि को भी करारा झटका लगा है। उन्होंने इस चुनाव को अपनी ईमानदारी का जनमत संग्रह बना दिया था और जनता से फैसला करने को कहा था। लेकिन दिल्ली के मतदाताओं ने भाजपा को बहुमत देकर साफ संकेत दे दिया कि उनकी प्राथमिकताएं बदल चुकी हैं।
‘ईमानदार हूं तो वोट दो, बेईमान हूं तो मत देना’ – जनता ने दिया जवाब
दिल्ली चुनाव के दौरान अरविंद केजरीवाल ने अपने ‘ईमानदार’ होने का दावा करते हुए जनता से भावनात्मक अपील की थी। उन्होंने कहा था कि अगर लोग उन्हें ईमानदार मानते हैं तो जमकर वोट दें, वरना वे मुख्यमंत्री पद नहीं संभालेंगे।
केजरीवाल का कहना था कि वह जनता की अदालत में गए हैं और वही तय करेगी कि वह मुख्यमंत्री बने रहेंगे या नहीं। लेकिन चुनावी नतीजों ने दिखा दिया कि उनकी यह अपील मतदाताओं को रास नहीं आई।
Delhi Election Result : भाजपा 43 सीटों पर तो, AAP 27 सीटों पर आगे है
यही नहीं, जेल से बाहर आने के बाद भी उन्होंने चुनाव को अपनी छवि सुधारने का मौका बनाया और इसे ‘सत्य बनाम झूठ’ की लड़ाई बताने की कोशिश की। लेकिन भाजपा ने उनके खिलाफ चल रहे कथित शराब घोटाले को बड़ा चुनावी मुद्दा बना दिया और जनता को यह समझाने में सफल रही कि आम आदमी पार्टी ‘भ्रष्टाचार’ में लिप्त हो चुकी है।
भ्रष्टाचार के आरोप और चुनावी रणनीति पर भारी पड़े जमीनी मुद्दे
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, आम आदमी पार्टी की हार का सबसे बड़ा कारण भाजपा की आक्रामक चुनावी रणनीति रही। भाजपा ने केजरीवाल के ‘कट्टर ईमानदारी’ के दावे को शराब घोटाले और अन्य भ्रष्टाचार के आरोपों से चुनौती दी।
शुरुआत से ही भाजपा का फोकस आम आदमी पार्टी की छवि को धूमिल करने पर था। भाजपा ने दिल्ली के मतदाताओं को यह बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि आप सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं।
इसके अलावा, दिल्ली में जलभराव, ट्रैफिक, सड़कें, सीवर और महिला सुरक्षा जैसे बुनियादी मुद्दे भी चुनाव में प्रभावी रहे। भाजपा ने इन मुद्दों को जोर-शोर से उठाया और यह साबित करने में कामयाब रही कि आम आदमी पार्टी ने इन समस्याओं को हल करने में कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
भाजपा के लिए ऐतिहासिक जीत, AAP के लिए बड़ा झटका
भाजपा की यह जीत न केवल दिल्ली में उसकी ऐतिहासिक वापसी का संकेत देती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि आप की लोकप्रियता में तेजी से गिरावट आई है। लोकसभा चुनाव 2024 में भी दिल्ली की सभी सातों सीटों पर हारने वाली आम आदमी पार्टी को इस बार भी मतदाताओं का समर्थन नहीं मिला। भाजपा के आक्रामक प्रचार, केंद्रीय योजनाओं के प्रभाव और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के आगे AAP सरकार की योजनाएं और वादे फीके पड़ गए।
क्या केजरीवाल का राजनीतिक करियर खत्म हो रहा है?
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या इस हार के बाद केजरीवाल का राजनीतिक भविष्य अंधकार में चला गया है? विशेषज्ञों की मानें तो यह हार केजरीवाल के लिए एक बहुत बड़ा झटका है, लेकिन राजनीति में वापसी के रास्ते हमेशा खुले रहते हैं।
हालांकि, यह स्पष्ट है कि आम आदमी पार्टी को अब एक बड़े आत्ममंथन की जरूरत है। केजरीवाल की रणनीति, पार्टी की छवि और संगठनात्मक ढांचे में बदलाव किए बिना भविष्य में उनकी वापसी मुश्किल हो सकती है।
दिल्ली चुनाव 2025 में भाजपा ने ऐतिहासिक जीत दर्ज कर 27 साल बाद सत्ता में वापसी की, जबकि आम आदमी पार्टी की लोकप्रियता में गिरावट दर्ज की गई। ‘ईमानदारी बनाम भ्रष्टाचार’ के नैरेटिव पर लड़ा गया यह चुनाव भाजपा के लिए सफल साबित हुआ, जबकि केजरीवाल की ‘कट्टर ईमानदारी’ की छवि को बड़ा झटका लगा।