BPSC 70वीं प्रारंभिक परीक्षा में हुई गड़बड़ियों और अनियमितताओं को लेकर स्थिति काफी गंभीर होती जा रही है। परीक्षा में प्रश्न पत्र लीक होने, जैमर ठीक से काम न करने, और परीक्षा केंद्र बदलने जैसी शिकायतों ने अभ्यर्थियों में नाराजगी पैदा की है। इसके साथ ही, प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पों ने इसे और भी संवेदनशील मुद्दा बना दिया है।
सोशल मीडिया पर प्रश्न पत्र का वायरल होना और कुछ अभ्यर्थियों को समय पर प्रश्न पत्र न मिलना परीक्षा प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है। अभ्यर्थी 13 दिसंबर और 4 जनवरी की परीक्षाओं को रद्द कर री-एग्जाम कराने की मांग कर रहे हैं।
याचिकाओं पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई लंबित है। हाईकोर्ट ने BPSC को एफिडेविट देने को कहा था, लेकिन मामले की सुनवाई अब भी टलती जा रही है। अभ्यर्थियों ने 30 जनवरी को पटना में 8 घंटे तक उग्र प्रदर्शन किया। पुलिस और कैंडिडेट्स के बीच झड़पें BPSC ऑफिस, JDU दफ्तर और डाकबंगला चौराहे पर हुईं।
क्या हो सकता है आगे का कदम? यदि हाईकोर्ट याचिकाओं पर कोई कड़ा फैसला लेता है, तो BPSC को परीक्षा प्रक्रिया में सुधार करने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में कदम उठाने होंगे।
प्रदर्शनकारियों की मांगों को ध्यान में रखते हुए, सरकार और आयोग को बीच का रास्ता निकालने की जरूरत है ताकि स्थिति और न बिगड़े। यदि मामला और लंबा खिंचता है, तो अभ्यर्थियों का असंतोष और बढ़ सकता है, जिससे सामाजिक और प्रशासनिक समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। आप इस मुद्दे के किसी खास पहलू पर चर्चा करना चाहते हैं या इसे और विस्तृत रूप में समझना चाहते हैं?