बजट से एक दिन पहले वार्षिक आर्थिक सर्वेक्षण (annual economic survey) की भविष्यवाणी के अनुसार, भारत आने वाले वित्तीय वर्ष के लिए 8 से 8.5 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि देखेगा। हालांकि यह चालू वर्ष में अनुमानित 9.2 प्रतिशत की वृद्धि से कम है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश किए गए सर्वेक्षण में 2022-23 वित्तीय वर्ष (अप्रैल 2022 से मार्च 2023) में अर्थव्यवस्था के लिए 8-8.5 प्रतिशत की विकास दर का अनुमान लगाया गया है। यह राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा अनुमानित 9.2 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद के आकलन से कम है।
आर्थिक गतिविधियों ने प्री पैंडेमिक की स्थिति को ठीक कर दिया है
सर्वेक्षण में कहा गया है कि 9.2 प्रतिशत यानि आर्थिक गतिविधियों ने प्री पैंडेमिक के स्तर को हासिल कर लिया है। लगभग सभी संकेतक बताते हैं कि पहली तिमाही में “दूसरी लहर” का आर्थिक प्रभाव 2020-21 में पूर्ण लॉकडाउन चरण के दौरान अनुभव की तुलना में बहुत कम था, हालांकि स्वास्थ्य पर प्रभाव अधिक गंभीर था। सर्वेक्षण में कहा गया है कि टीकाकरण कार्यक्रम ने बड़ी आबादी को कवर कर लिया है, आर्थिक गति वापस आ रही है और पाइपलाइन में आपूर्ति-पक्ष सुधारों के संभावित दीर्घकालिक लाभ, भारतीय अर्थव्यवस्था 8.0-8.5 की जीडीपी वृद्धि देखने की अच्छी स्थिति में है।
कृषि और संबंधित क्षेत्र महामारी में कम प्रभावित हुए
रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि और संबद्ध क्षेत्र महामारी से सबसे कम प्रभावित हुए हैं और 2021-22 में इस क्षेत्र के 3.9 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है, जो पिछले वर्ष में 3.6 प्रतिशत था। सर्वेक्षण के अनुसार, सर्विस सेक्टर महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है, विशेष रूप से ऐसे खंड जिनमें मानव संपर्क शामिल है। पिछले वर्ष के 8.4 प्रतिशत संकुचन के बाद इस वित्तीय वर्ष में इस क्षेत्र के 8.2 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। सरकारी खर्च से महत्वपूर्ण योगदान के साथ 2021-22 में कुल खपत में 7 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है। 2020 में कोविड -19 महामारी के प्रकोप से कुछ महीने पहले पेश किए गए सर्वेक्षण में 6-6.5 प्रतिशत के अनुमान के मुकाबले 2020-21 के दौरान अर्थव्यवस्था में 7.3 प्रतिशत की कमी आई थी।