भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सातवीं बार रेपो रेट में बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट 6.5 फीसदी ही रहेगी। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने प्रमुख ब्याज दरों पर मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसले का ऐलान किया। रेपो रेट में बदलाव नहीं करने का मतलब है कि लोगों को ईएमआई (EMI) में किसी तरह की राहत नहीं मिलेगी। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि पॉलिसी रेपो रेट को 6.5% ही रखने का निर्णय लिया गया है।
स्थायी जमा सुविधा दर 6.25%
शक्तिकांत ने कहा कि स्थायी जमा सुविधा दर 6.25% ही है। सीमांत स्थायी सुविधा दर और बैंक दर 6.75% पर कायम रहेगी। बता दें वित्तीय वर्ष 2024-25 (FY25) में RBI MPC की यह पहली घोषणा है। RBI MPC की तीन दिवसीय बैठक गुरुवार को खत्म हुई थी।
क्या होती है रेपो रेट?
RBI द्वारा अन्य बैंकों को दिए जाने वाले कर्ज की दर को रेपो रेट कहा जाता है। इसी दर पर बैंक अपने ग्राहकों को लोन देता है। बाजार पर्यवेक्षकों का अनुमान था कि बढ़ती मुद्रास्फीति के दबाव के बीच समिति रेपो दर को 6.5% पर बरकरार रखा जाएगा। एक्सपर्ट का कहना है महंगाई में थोड़ा बदलाव हो सकता है। ईंधन और रसोई गैस की कीमतों में भी नरमी आ सकती है।
रेपो रेट कम होने के फायदे
RBI रेपो रेट कम होने से लोन की ईएमआई (EMI) कम होता है। रेपो रेट बढ़ने पर ईएमआई बढ़ जाती है। रेपो रेट कम होने पर ग्राहकों को कम ब्याज पर होम और व्हीकल लोन मिलते हैं। रेपो रेट बढ़ने पर बढ़ी हुई दर पर लोन मिलेंगे। बैंक रेपो रेट के आधार पर लोन की ईएमआई निर्धारित करती है।