भारत में सीईओ का देश की आर्थिक वृद्धि को लेकर आशावाद मजबूत बना हुआ है, लेकिन दीर्घकालिक व्यवसायिक व्यवहार्यता और वैश्विक आर्थिक अस्थिरता जैसे मुद्दों पर उनकी चिंताएं भी बढ़ रही हैं। यह जानकारी PwC के 28वें वार्षिक वैश्विक सीईओ सर्वेक्षण में सामने आई है, जिसमें 109 देशों के 4,701 सीईओ, जिनमें भारत के 76 सीईओ शामिल थे, की राय ली गई।
आर्थिक विकास पर भरोसा, लेकिन चुनौतियों का एहसास
सर्वेक्षण के अनुसार, 87% भारतीय सीईओ देश की आर्थिक वृद्धि को लेकर आशावादी हैं, जबकि 74% अपनी कंपनियों की राजस्व वृद्धि को लेकर आश्वस्त हैं। हालांकि, दीर्घकालिक दृष्टि से भारतीय व्यवसायों की व्यवहार्यता को लेकर चिंताएँ बढ़ी हैं।
- 54% भारतीय सीईओ मानते हैं कि उनकी कंपनियाँ मौजूदा रणनीतियों के साथ केवल 10 वर्षों या उससे कम समय तक ही टिक सकती हैं।
- 2023 में यह आंकड़ा 59% था, जिससे यह संकेत मिलता है कि दीर्घकालिक योजना के प्रति चिंता बढ़ रही है।
बदलते कारोबारी माहौल में बदलाव की आवश्यकता
PwC की रिपोर्ट बताती है कि तकनीकी प्रगति, बाजार की बदलती माँगें, और स्थिरता संबंधी दबाव भारतीय व्यवसायों को अपनी निर्णय प्रक्रियाओं और रणनीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर रहे हैं।
- सीईओ का मानना है कि उन्हें बाज़ार में प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए तेजी से बदलाव करने की जरूरत है।
- इसके साथ ही, व्यापक आर्थिक अस्थिरता, मुद्रास्फीति, और कुशल श्रमिकों की कमी जैसी चुनौतियाँ भी व्यवसायों के सामने खड़ी हैं।
एआई पर मिले-जुले विचार
- भारत के 51% सीईओ लाभप्रदता पर जनरल एआई के संभावित सकारात्मक प्रभाव को लेकर आशावादी हैं।
- हालांकि, केवल 33% सीईओ व्यावसायिक प्रक्रियाओं में एआई के एकीकरण को लेकर उच्च स्तर का विश्वास व्यक्त करते हैं।
दीर्घकालिक दृष्टिकोण पर विचार
PwC की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की आर्थिक वृद्धि को लेकर उत्साह के बावजूद, दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सीईओ को रणनीतिक नवाचार, तकनीकी समायोजन और सतत विकास पर अधिक जोर देना होगा।