बिहार की सियासत में जहां एक ओर महागठबंधन की बैठकों का दौर जारी है, वहीं दूसरी ओर सी-वोटर का ताजा सर्वे एक बार फिर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा गया है। सर्वे कहता है कि मुख्यमंत्री पद के चेहरे की बात हो, तो जनता की पहली पसंद अब भी तेजस्वी यादव ही हैं। लेकिन यहां कहानी में एक दिलचस्प मोड़ है—तेजस्वी का ग्राफ गिरा है।
गिरा ग्राफ, लेकिन पकड़ बरकरार
सी-वोटर के इस सर्वे में यह साफ दिखा कि तेजस्वी यादव की लोकप्रियता में पिछले सर्वे की तुलना में लगभग 5% की गिरावट दर्ज की गई है। पहले वे 40% के आसपास थे, अब थोड़े नीचे आए हैं। बावजूद इसके, सीएम पद की दौड़ में उनकी बादशाहत कायम है। यानि तेजस्वी डाउन हैं, लेकिन आउट नहीं।
चैलेंजर की कुर्सी पर अब प्रशांत किशोर
सर्वे का एक और चौंकाने वाला पहलू यह रहा कि नीतीश कुमार, जो पहले दूसरे नंबर पर हुआ करते थे, अब उस जगह को प्रशांत किशोर ने हथिया लिया है। किशोर का ग्राफ तेज़ी से चढ़ा है, जबकि नीतीश की पकड़ कमजोर पड़ी है। उनकी रेटिंग अब उनके कोर वोट बैंक—कुर्मी-कोरी और एनडीए समर्थकों—तक सिमटती दिख रही है।
उभार पर सम्राट चौधरी और चिराग पासवान
सर्वे में सम्राट चौधरी और चिराग पासवान का ग्राफ भी ऊपर गया है। हालांकि ये नाम अब भी तेजस्वी के मुकाबले काफी पीछे हैं, लेकिन धीरे-धीरे इनके पक्ष में हवा बनती दिख रही है। यानि आने वाले दिनों में मुकाबला दिलचस्प हो सकता है।
कांग्रेस के ‘साइलेंट चेहरे’ भी चर्चा में
विश्लेषकों के अनुसार, सर्वे में कांग्रेस के कुछ नाम भी ट्रेंड कर रहे हैं—जैसे तारिक अनवर और शकील अहमद। इनका आंकड़ा भले 4% के भीतर ही हो, लेकिन यह संकेत है कि कांग्रेस अगर चेहरा तय करती है, तो वह अपना वोट बैंक कुछ हद तक समेट सकती है।
महागठबंधन की बैठक और ‘चेहरे’ पर मुहर
इसी बीच पटना में महागठबंधन की अहम बैठक बुलाई गई है, जिसमें सीट शेयरिंग के साथ-साथ तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर औपचारिक मुहर लगाई जा सकती है। आरजेडी नेताओं ने सर्वे का हवाला देते हुए कहा—”हमारे पास नेता है, नीति है, नियत है और बिहार की जनता का समर्थन है।”
सी-वोटर के संस्थापक यशवंत देशमुख का विश्लेषण कहता है कि तेजस्वी की गिरती ट्रेंड लाइन के बावजूद वो नंबर वन हैं, क्योंकि बाकी दावेदारों में वह ‘करिश्मा’ या ‘जनता का भरोसा’ अभी नहीं बन पाया है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि तेजस्वी के नंबर उनकी पार्टी के वोट शेयर से मेल खाते हैं, जबकि बाकी नेताओं के नहीं।
तो क्या बिहार में चेहरा तय हो चुका है? तेजस्वी का ग्राफ भले ही गिरा हो, लेकिन मुकाबले से वो अभी कोसों आगे हैं। क्या नीतीश की पकड़ ढीली हो रही है? क्या किशोर लेंगे नई जगह? क्या सम्राट और चिराग भविष्य की कहानी हैं? फिलहाल, सी-वोटर का सर्वे आरजेडी के लिए एक टॉनिक है और विरोधियों के लिए एक अलार्म बेल।