टोरंटो: कनाडा और अमेरिका के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने गुरुवार को सख्त लहजे में कहा कि अमेरिका के साथ दोस्ती और सहयोग के दिन अब इतिहास बन गए हैं। यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस फैसले के बाद आया, जिसमें उन्होंने आयातित वाहनों और उनके कलपुर्जों पर 25% शुल्क लगाने की घोषणा की। कार्नी ने इसे कनाडा पर “सीधा हमला” करार देते हुए कहा कि अब दोनों देशों के बीच अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और व्यापारिक रिश्तों का पुराना दौर खत्म हो चुका है।
ट्रंप का फैसला, कनाडा पर संकट
ट्रंप ने बुधवार को ऐलान किया कि यह शुल्क अमेरिकी विनिर्माण को बढ़ावा देगा और घरेलू नौकरियों को बचाएगा। व्हाइट हाउस का दावा है कि इससे सालाना 100 अरब डॉलर का राजस्व आएगा। लेकिन कनाडा के लिए यह फैसला मुसीबत बनकर आया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कनाडा में करीब 5 लाख नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं, क्योंकि वहां की ऑटो इंडस्ट्री अमेरिका पर निर्भर है। ट्रंप का कहना है कि यह शुल्क 3 अप्रैल से लागू होगा, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर असर पड़ेगा।
कार्नी का गुस्सा, आपात बैठक
ट्रंप के इस ऐलान ने कनाडा में हड़कंप मचा दिया। मार्क कार्नी ने अपना चुनावी अभियान बीच में रोककर तुरंत कैबिनेट की इमर्जेंसी बैठक बुलाई। उन्होंने कहा, “अमेरिका ने हमारे रिश्ते को तहस-नहस कर दिया है। अब ट्रेड डील की कोई गुंजाइश नहीं बची। हम अपने लोगों, कंपनियों और देश को बचाने के लिए हर कदम उठाएंगे।” कार्नी ने जवाबी कार्रवाई का संकेत दिया, लेकिन कहा कि वह ट्रंप के कार्यकारी आदेश की बारीकियां देखने के बाद फैसला लेंगे।
शुल्क का असर: फायदा या नुकसान?
ट्रंप का तर्क है कि यह शुल्क अमेरिका में नए कारखाने खोलेगा और कनाडा-मेक्सिको के साथ चलने वाली “बेकार” आपूर्ति श्रृंखला को खत्म करेगा। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इससे वाहन निर्माताओं की लागत बढ़ेगी और बिक्री घट सकती है, क्योंकि अमेरिकी कंपनियां भी कई कलपुर्जे विदेशों से मंगाती हैं। अप्रैल से शुरू होने वाली यह कर वृद्धि दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकती है।
निष्कर्ष: दोस्ती से दुश्मनी की राह
कार्नी के बयान और ट्रंप के फैसले ने साफ कर दिया है कि अमेरिका और कनाडा के बीच ट्रेड वॉर की शुरुआत हो चुकी है। जहां ट्रंप इसे अमेरिकी हितों की जीत बता रहे हैं, वहीं कार्नी इसे अपने देश पर हमले के रूप में देख रहे हैं। अब सवाल यह है कि क्या कनाडा जवाबी शुल्क लगाएगा या कोई दूसरा रास्ता चुनेगा? आने वाले दिन दोनों देशों के रिश्तों की नई दिशा तय करेंगे।