नई दिल्ली/नोएडा : उत्तर प्रदेश के नोएडा और ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में सबवेंशन स्कीम के नाम पर हुए कथित घोटाले की जांच अब तेज हो गई है। सुप्रीम कोर्ट के 29 अप्रैल 2025 के आदेश के बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने इस मामले में बड़ा कदम उठाया है। सीबीआई ने नोएडा प्राधिकरण से 112 बिल्डर प्रोजेक्ट्स से संबंधित विस्तृत जानकारी मांगी, जो अब प्राधिकरण द्वारा सौंप दी गई है। इस घोटाले में हजारों होमबायर्स ठगे गए हैं, और 40 से अधिक परियोजनाएं अधर में लटकी हुई हैं।
जांच का दायरा बढ़ा
शुरुआत में सीबीआई ने केवल 9 बिल्डरों की जानकारी मांगी थी, लेकिन अब यह संख्या 112 तक पहुंच गई है। प्राधिकरण ने स्वीकृत पत्र, लेआउट प्लान, बकाया विवरण, रजिस्ट्री और को-डेवलपर्स की जानकारी सहित सभी दस्तावेज सीबीआई को सौंप दिए हैं। इसके अलावा, सीबीआई ने नोएडा की स्पोर्ट्स सिटी योजना (सेक्टर-78, 79, 150 और 152) की भी मौके पर जांच की है, जिसमें ड्रोन सर्वे भी शामिल है। पिछले एक माह में सीबीआई की टीम ने प्राधिकरण कार्यालय का तीन से चार बार दौरा किया है।
घोटाले का खुलासा
सबवेंशन स्कीम के तहत बिल्डरों को फ्लैट की रजिस्ट्री तक होम लोन की ईएमआई का भुगतान करना था। लेकिन कई बिल्डरों ने भुगतान बंद कर दिया, जिससे खरीदारों को न तो फ्लैट मिले और न ही कर्ज से राहत। आरोप है कि बिल्डरों ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए बैंकों से लोन पास कराए और बिना साइट निरीक्षण के भारी रकम जारी की गई। कथित तौर पर बैंकों और बिल्डरों के बीच ‘अघोषित’ समझौता था, जिसके तहत लोन की राशि दूसरी परियोजनाओं में डायवर्ट कर दी गई।
सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरणों को सीबीआई को पूरी जानकारी देने और नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया। नोएडा प्राधिकरण ने अपने अकाउंट ऑफिसर संजीव दत्ता को नोडल अधिकारी बनाया है। 2014 से शुरू हुई इन योजनाओं में कई बिल्डर दिवालिया हो चुके हैं, जिससे खरीदार लोन की किस्तों के बोझ तले दब गए हैं।
आगे की राह
सीबीआई की जांच जारी है, और इस मामले में बैंकों, बिल्डरों और नियामक संस्थाओं की भूमिका की गहन जांच की उम्मीद है। होमबायर्स के लिए राहत की उम्मीद बंधी है, लेकिन अधूरे प्रोजेक्ट्स और वित्तीय नुकसान का समाधान अभी चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।
इस घटना से सबक लेते हुए, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) और नेशनल हाउसिंग बैंक (NHB) की गाइडलाइंस को सख्ती से लागू करने की मांग तेज हो गई है।