नई दिल्ली, देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ नेताओं द्वारा नफरत भरे भाषण (हेट स्पीच) की बढ़ती घटनाओं पर केंद्र सरकार ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा है कि इस तरह के मामलों का कोई केंद्रीय डेटा उपलब्ध नहीं है, क्योंकि पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। यह जवाब लोकसभा में समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद दरोगा प्रसाद सरोज के एक लिखित सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने दिया।
सांसद सरोज ने सरकार से पूछा था कि क्या वह अल्पसंख्यकों के खिलाफ राजनेताओं द्वारा दिए जा रहे हेट स्पीच की बढ़ती घटनाओं से अवगत है और क्या इसके लिए कोई नया सख्त कानून बनाने की योजना है। जवाब में रिजिजू ने कहा, “भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत ‘सार्वजनिक व्यवस्था’ और ‘पुलिस’ राज्य के विषय हैं। अपराधों की रोकथाम, जांच और अपराधियों पर मुकदमा चलाना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 196, 299 और 353 जैसे मौजूदा कानून इन घटनाओं से निपटने के लिए पर्याप्त हैं।हालांकि, केंद्र के इस जवाब के उलट, इंडिया हेट लैब की हालिया रिपोर्ट ने चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए हैंl
क्या है इंडिया हेट लैब की रिपोर्ट में
10 फरवरी 2025 को प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में हेट स्पीच की घटनाओं में 74% की वृद्धि हुई, जिसमें 2023 की 688 घटनाओं की तुलना में 1,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए। रिपोर्ट में कहा गया कि इनमें से 40% (462) नफरत भरे भाषण राजनेताओं द्वारा दिए गए, जिनमें 452 के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता जिम्मेदार थे। यह 2023 की तुलना में 352% की वृद्धि दर्शाता है, जब भाजपा नेताओं से जुड़े 100 मामले सामने आए थे।
रिपोर्ट ने यह भी खुलासा किया कि चुनावी मौसम में मुस्लिम विरोधी बयानबाजी को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया। खास तौर पर राजस्थान के बांसवाड़ा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक भाषण का जिक्र किया गया, जिसमें उन्होंने भारतीय मुसलमानों को “घुसपैठिए” कहा था। इसके बाद हेट स्पीच की घटनाओं में तेजी देखी गई।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की भूमिका
रिजिजू ने अपने जवाब में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह आयोग अल्पसंख्यकों के विकास और उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए काम करता है। यदि आयोग को कोई शिकायत मिलती है, तो वह उसे संबंधित राज्य सरकारों या अधिकारियों के पास कार्रवाई के लिए भेज सकता है। हालांकि, केंद्र ने इस मुद्दे पर सीधे हस्तक्षेप से इनकार कर दिया।
विपक्ष का तंज
सपा सांसद सरोज के सवाल और केंद्र के जवाब ने विपक्षी दलों को सरकार पर निशाना साधने का मौका दिया है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि हेट स्पीच की बढ़ती घटनाएं देश की सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा रही हैं, और केंद्र का “हाथ खड़े करना” इस समस्या को और गंभीर बना रहा है। केंद्र के इस रुख से सवाल उठता है कि क्या हेट स्पीच जैसे संवेदनशील मुद्दे पर राज्य और केंद्र के बीच जिम्मेदारी का यह टालमटोल देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती नफरत को रोक पाएगा, या यह समस्या और गहराती जाएगी।