Chainpur Vidhan Sabha 2025: कैमूर जिले की चैनपुर विधानसभा सीट (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 206) बिहार की राजनीति में एक अहम भूमिका निभाती है। यह सासाराम लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है और हमेशा से अपने बदलते राजनीतिक समीकरणों के लिए जानी जाती है। कभी कांग्रेस का गढ़ रही यह सीट अब बहुजन समाज पार्टी (BSP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच सीधी टक्कर का मैदान बन चुकी है।
चुनावी इतिहास
स्वतंत्रता के बाद के शुरुआती दशकों में चैनपुर में कांग्रेस का प्रभाव अपराजेय था। 1957 के पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के गुप्ता नाथ सिंह यहां से विधायक बने थे। 70 और 80 के दशक में जनसंघ और जनता पार्टी ने इस सीट पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, जिसने यहां के राजनीतिक संतुलन को बदलना शुरू किया। समय के साथ यह क्षेत्र जातीय और वर्गीय समीकरणों का एक दिलचस्प मिश्रण बन गया, जिसने हर बार यहां के नतीजों को अप्रत्याशित बना दिया।
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2010 के चुनाव में बीजेपी ने इस सीट पर अपनी मजबूत वापसी की जब बृज किशोर बिंद ने बीएसपी के डॉ. अजय आलोक को 13,580 वोटों से पराजित किया। 2015 में भी बृज किशोर बिंद ने जीत की पुनरावृत्ति करते हुए बीएसपी के मो. जामा खान को मामूली अंतर से हराया। लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में हालात पूरी तरह बदल गए। बीएसपी के मो. जामा खान ने बीजेपी के बृज किशोर बिंद को 24,294 वोटों के भारी अंतर से मात दी। उस चुनाव में बीएसपी को 95,245 वोट मिले थे, जबकि कुल मतदान 46.24% रहा। इस जीत ने चैनपुर को बीएसपी का गढ़ बना दिया।
जातीय समीकरण
जातीय समीकरण की बात करें तो चैनपुर में दलित, पिछड़े वर्ग, बिंद, कुशवाहा और मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। बीएसपी ने पारंपरिक रूप से दलित और पिछड़े समुदायों को अपने पक्ष में संगठित किया है। वहीं बीजेपी ने उच्च जातियों के साथ-साथ बिंद और अन्य पिछड़े वर्गों को अपने समर्थन में लाने की कोशिश की है। आने वाले 2025 के विधानसभा चुनाव में यही समीकरण सबसे बड़ा निर्णायक फैक्टर साबित हो सकता है।






















