नयी दिल्ली: दिल्ली दंगो के आरोपी शरजील इमाम को लेकर अदसालत में सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने कई महत्वपूर्ण बातें कही हैं। बता दें दिल्ली के जामिया इलाके में वर्ष 2019 में हुए दंगे के मामले में आरोपी शरजील इमाम पर आरोप तय करते हुए अदालत ने कहा है कि वरिष्ठ पीएचडी छात्र होने के चलते आरोपी शरजील ने अपने भाषण को चालाकी से पेश किया। शरजील ने अपने समुदाय के अलावा अन्य समुदायों का उल्लेख करने से परहेज किया, लेकिन चक्का जाम के पीड़ित सभी समुदाय के लोग थे।
उसने केवल एक समुदाय के लोगों को ही चक्का जाम के लिए भड़काया। आरोपी शरजील न केवल भड़काने वाला था, बल्कि वह हिंसा भड़काने की बड़ी साजिश का सरगना भी था। इस मामले की सुनवाई अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विशाल सिंह की अदालत में हुई उन्होने अपने आदेश में कहा है कि शरजील ने खुले तौर पर एक समुदाय के मन में क्रोध और घृणा की भावना पैदा की। उन्हें उत्तर भारत के कई राज्यों में बड़े पैमाने पर व्यवधान पैदा करने के लिए उकसाया।
ऐसे शख्स की यह दलील नहीं सुनी जा सकती कि सार्वजनिक सड़कों पर भीड़ द्वारा किया गया दंगा उसके भाषण का परिणाम नहीं था और इसके लिए उसे आपराधिक दायित्व में नहीं डाला जा सकता। शरजिल इमाम को लेकर अदालत ने माना कि उसका भाषण क्रोध और घृणा को भड़काने के लिए था, जिसका स्वाभाविक परिणाम सार्वजनिक सड़कों पर गैरकानूनी सभा के सदस्यों द्वारा व्यापक हिंसा से हुआ। उसने अपने सांप्रदायिक भाषण के माध्यम से हिंसक भीड़ गतिविधि को भड़काकर उकसाया, जिसके लिए उसके खिलाफ धारा 109 आईपीसी के साथ धारा 153 ए आईपीसी भी उचित रूप से लागू होते हैं।