[Team Insider] चतरा के टंडवा में स्थापित एनटीपीसी में रैयतों और ग्रामीणों द्वारा सुरक्षाबलों पर हमला और कार्यालय में तोड़फोड़ के साथ ऑफिस समेत गाड़ियों में आगजनी मामला धीरे-धीरे और पेचीदा होते जा रहा है। घटना के बाद 200 से अधिक हमलावरों के विरुद्ध टंडवा थाना में एफआईआर दर्ज कराने के बाद एनटीपीसी प्रबंधन ने उनकी मुआवजा संबंधित किसी भी तरह की मांगों को मानने से पूरी तरह इंकार कर दिया है।
मुआवजा दिया जा चुका है
इस मामले में एनटीपीसी के मुख्य संपदा अधिकारी एनजे सिंह ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने रैयतों और ग्रामीणों के आंदोलन और मांगो को नियमविरुद्ध बताते हुए कहा है कि एक ही जमीन का बार-बार अधिग्रहण और मुआवजा भुगतान नहीं किया जाता है। संपदा अधिकारी के अनुसार वर्ष 2004 में अधिग्रहित भूमि का आज के रेट से रैयत और ग्रामीण आंदोलन कर मुआबजे का मांग कर रहे हैं। जबकि 2015 में ही मुआवजे का भुगतान होने के बाद जमीन का पूरी तरह से एनटीपीसी के नाम दाखिल-खारिज हो चुका है।
भूमि अधिग्रहण का कार्य बंद
ऐसे में जब एनटीपीसी में भूमि अधिग्रहण का कार्य पूरी तरह से बंद हो चुका है। तो किसी भी परिस्थिति में रैयतों की मुआबजा वृद्धि की मांगों को नहीं माना जा सकता। उन्होंने कहा है कि भूमि अधिग्रहण और मुआबजा वितरण में रैयतों और ग्राम विकास सलाहकार समिति के साथ लिखित एनटीपीसी का सहमति एकरारनामा भी है।