[Team insider] भाषा विवाद को लेकर पिछले कई दिनों से राज्य में लोग आंदोलन कर रहे हैं। अब इसकी तपिश चतरा जिले में भी पहुंच चुकी है। चतरा के गिद्धौर प्रखंड में संघर्ष समिति के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने सड़क पर उतर कर आक्रोश रैली निकाला और सरकार से प्रदेश में 1932 का खतियान लागू करने और खोरठा को राजभाषा का दर्जा देने की मांग की। वहीं भोजपुरी, मगही और अंगिका भाषा का भी विरोध किया और कहा कि दूसरे राज्य की भाषा का भाषा नहीं बर्दाश्त करेंगे। यदि सरकार ऐसा नहीं करती है तो सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन किया जाएगा। दरअसल धनबाद और बोकारो जिले में भोजपुरी, मैथिली, मगही और अंगिका को क्षेत्रीय भाषा की सूची से हटाने की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने पिछले दिनों बीजेपी के पूर्व सांसद रवींद्र राय पर हमला किया था।
राष्ट्रपति से भी की गई थी मांग
वहीं ये विवाद राष्ट्रपति भवन तक पहुंच चुका है। आजसू पार्टी के सांसद और विधायकों ने नई दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर धनबाद और बोकारो में भोजपुरी, मगही और अन्य जिलों में मैथिली-अंगिका को क्षेत्रीय भाषा की सूची से हटाने की मांग की थी।
जानें क्यों हो रहा विरोध
राज्य सरकार ने जिला स्तर पर तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरियों में स्थानीय भाषा की अलग-अलग सूची जारी की। इस सूची में झारखंड की 9 जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा को शामिल किया गया। इसके साथ ही मैथिली, भोजपुरी, अंगिका और मगही को धनबाद, बोकारो, रांची सहित विभिन्न जिलों में शामिल किया गया। इसको लेकर कई आदिवासी संगठन विरोध में आ गए। उन्होंने तर्क दिया कि इससे सरकारी नौकरियों में बाहरी लोगों को लाभ मिल जाएगा। वहीं राज्य के स्थानीय युवाओं का हक छीन जाएगा।