लोक आस्था और सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा (Chhath Puja 2025 Bihar) आज पूरे बिहार में श्रद्धा, भक्ति और उल्लास के माहौल में शुरू हो गया है। चार दिवसीय इस पर्व की शुरुआत ‘नहाय-खाय’ के साथ हुई, जहां श्रद्धालु महिलाएं और पुरुष भोर से ही गंगा नदी के पवित्र घाटों पर स्नान करने पहुंचे। राजधानी पटना से लेकर भागलपुर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा और भोजपुर तक श्रद्धा का सागर उमड़ पड़ा है।
सुबह की पहली किरण के साथ ही पटना के प्रमुख घाटों — दीघा, गायघाट, कंकड़बाग, कदमकुआं और कुर्जी घाट — पर हजारों श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया। भक्तों ने स्नान कर सूर्यदेव और ‘छठ मईया’ से अपने परिवार की सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और कल्याण की कामना की। महिलाएं परंपरागत वेशभूषा में फल, फूल और प्रसाद से भरी टोकरी लेकर पूजा की तैयारियों में जुटी नजर आईं।

छठ पूजा का पहला दिन ‘नहाय-खाय’ पवित्रता और संयम का प्रतीक माना जाता है। इस दिन व्रती महिलाएं स्नान कर लौकी-भात और चने की दाल का प्रसाद ग्रहण करती हैं। इसके बाद वे अगले तीन दिनों के निर्जला व्रत की तैयारी करती हैं। गंगाजल को घर ले जाकर पूजा के दौरान शुद्धता और पवित्रता का ध्यान रखा जाता है।
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बिहार में इस पर्व का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत गहरा है। यह पर्व न केवल सूर्योपासना का प्रतीक है, बल्कि प्रकृति, जल और पारिवारिक एकता के प्रति आस्था का प्रतीक भी है। छठ पूजा बिहार की पहचान बन चुकी है, जो अब वैश्विक स्तर पर बिहारी प्रवासियों के बीच भी उत्साहपूर्वक मनाई जाती है।
प्रशासन ने छठ पर्व के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। पटना जिला प्रशासन ने गंगा घाटों पर विशेष निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन सर्विलांस की व्यवस्था की है। सुरक्षा बलों, गोताखोरों और एनडीआरएफ टीमों की तैनाती कर दी गई है। आपदा प्रबंधन विभाग ने भी चौबीसों घंटे निगरानी रखने की जिम्मेदारी संभाली है।
अगले चरणों में छठ व्रत का दूसरा दिन ‘खरना’ होगा, जिसके बाद तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन प्रातः अर्घ्य का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान व्रती बिना जल ग्रहण किए उपवास रखती हैं और सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करती हैं। यह पर्व आत्मसंयम, शुद्धता और कृतज्ञता का अद्भुत संगम है।

















