छठ पूजा (Chhath Puja Rush 2025), जो बिहार और पूर्वांचल के लोगों के लिए सबसे बड़ा आस्था पर्व माना जाता है, इस बार सफर की त्रासदी में बदल गया है। दिल्ली, मुंबई, गुजरात और हैदराबाद जैसे महानगरों से अपने गांव लौटने की चाह में लाखों लोग रेलवे स्टेशनों पर टिकट के लिए दर-दर भटक रहे हैं। भीड़ का आलम यह है कि ट्रेनों में क्षमता से 200 प्रतिशत तक यात्रियों की भरमार है। लोग डिब्बों के दरवाजों से लटकते, छतों पर बैठते या टॉयलेट में रातभर सफर करते नजर आ रहे हैं। यह दृश्य न केवल व्यवस्था की पोल खोलता है बल्कि उस दावे पर भी सवाल खड़ा करता है, जिसमें मोदी सरकार ने छठ पर्व पर 12,000 अतिरिक्त ट्रेनों के संचालन का दावा किया था।
केंद्र सरकार का यह दावा अब विपक्ष के लिए हमला करने का बड़ा हथियार बन गया है। कांग्रेस नेता अविनाश पांडेय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छठ पर्व के मौके पर वाहवाही लूटने के लिए 12,000 स्पेशल ट्रेनें चलाने की घोषणा की, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “देश में कुल ट्रेनों की संख्या ही करीब 13,452 है, तो केवल बिहार के लिए 12,000 ट्रेनें चलाने का दावा कैसे किया जा सकता है? ये जनता को भ्रमित करने और वोट बटोरने का प्रयास था।”
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अविनाश पांडेय ने आगे कहा कि यह “सिर्फ एक झूठा चुनावी नारा” था। उन्होंने कहा, “लोगों को घर पहुंचाने का वादा झूठा निकला। गरीब मजदूर, महिलाएं और बच्चे घंटों प्लेटफॉर्म पर फर्श पर बैठे हैं, कई टॉयलेट में सफर कर रहे हैं। यह न केवल प्रशासनिक विफलता है, बल्कि बिहार के लोगों के साथ अन्याय भी है। प्रधानमंत्री को इस झूठ के लिए माफी मांगनी चाहिए।”
इसी मुद्दे पर राजद नेता रोहिणी आचार्य ने भी केंद्र सरकार पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा, “यह इतना बड़ा झूठ है कि ‘झूठ’ शब्द भी छोटा पड़ जाए। भाजपा और उसके समर्थक मीडिया ने बिना तथ्यों की जांच किए बिहारवासियों को गुमराह करने की कोशिश की। देश में कुल करीब 13,000 यात्री ट्रेनें चलती हैं, तो 12,000 अतिरिक्त ट्रेनें कहां से आईं? क्या देश की सारी ट्रेनें रोककर सिर्फ बिहार के लिए चला दी गईं?”

विपक्ष का आरोप है कि मोदी सरकार के इस दावे का कोई वास्तविक आधार नहीं है और यह सिर्फ बिहार चुनाव से पहले राजनीतिक माहौल को भुनाने की रणनीति का हिस्सा था। दूसरी ओर, रेलवे का कहना है कि “कई स्पेशल ट्रेनों” को मंजूरी दी गई है और अधिकतम भीड़ को नियंत्रित करने के लिए वैकल्पिक इंतज़ाम किए जा रहे हैं, हालांकि जमीन पर हालात इन दावों के विपरीत दिखाई दे रहे हैं।
छठ पूजा से पहले बिहार लौटने की कोशिश में फंसे लोगों की सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरें और वीडियो देशभर में संवेदना पैदा कर रहे हैं। ठसाठस भरी ट्रेनें, टिकट विहीन यात्रियों की भीड़ और रेलवे प्लेटफॉर्म पर बेसुध पड़े लोग यह दर्शा रहे हैं कि बिहार के लोगों के लिए “घर लौटने का उत्सव” अब “संघर्ष की यात्रा” बन गया है।






















