नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच हाल के दिनों में बढ़ते तनाव के बीच चीनी विदेश मंत्रालय ने दोनों देशों से शांति और स्थिरता बनाए रखने की अपील की है। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने 19 मई 2025 को एक नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि चीन भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव पर करीबी नजर रख रहा है और वह क्षेत्रीय शांति के लिए रचनात्मक भूमिका निभाने को तैयार है।
माओ निंग ने अपने बयान में कहा, “भारत और पाकिस्तान दोनों ही चीन के महत्वपूर्ण पड़ोसी देश हैं। हम दोनों देशों से आग्रह करते हैं कि वे शांति और स्थिरता को प्राथमिकता दें, संयम बरतें और तनाव को बढ़ाने वाली कार्रवाइयों से बचें।” उन्होंने आगे कहा कि चीन अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर दोनों देशों के बीच संवाद को बढ़ावा देने और युद्धविराम को सुनिश्चित करने में अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध है।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद तनाव बढ़ गया था। इस हमले के जवाब में भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए थे। इसके बाद दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव बढ़ गया था, हालांकि 10 मई को अमेरिकी मध्यस्थता में दोनों देशों ने युद्धविराम की घोषणा की थी।
चीनी प्रवक्ता ने यह भी दोहराया कि चीन सभी प्रकार के आतंकवाद का विरोध करता है और दोनों देशों से संवाद के माध्यम से मतभेदों को सुलझाने की अपील की। उन्होंने कहा, “हम भारत और पाकिस्तान के बीच पूर्ण और स्थायी युद्धविराम का समर्थन करते हैं और क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बनाए रखने के लिए रचनात्मक भूमिका निभाने को तैयार हैं।”
चीन की यह टिप्पणी दर्शाती है कि वह दक्षिण एशिया में अपने रणनीतिक हितों को ध्यान में रखते हुए दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने की कोशिश कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की यह पहल न केवल क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत के साथ उसके संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में भी एक कदम हो सकता है।
हालांकि, कुछ विश्लेषकों का यह भी कहना है कि चीन की यह स्थिति उसके पाकिस्तान के साथ गहरे रणनीतिक संबंधों को संतुलित करने की कोशिश है, क्योंकि वह भारत के साथ भी आर्थिक और कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करना चाहता है।
इस बीच, भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम के बावजूद सीमा पर तनाव की स्थिति बनी हुई है। दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच 12 मई को हुई बातचीत के बाद स्थिति में कुछ सुधार देखा गया है, लेकिन क्षेत्रीय शांति के लिए निरंतर संवाद और सहयोग की आवश्यकता बनी हुई है।