बिहार की राजनीति (Bihar Politics) में एक बार फिर बाहरी नेताओं के बयानों ने विवाद को जन्म दे दिया है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के बिहार दौरे को लेकर राज्य की सियासत गरमा गई है। स्टालिन ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और राजद नेता तेजस्वी यादव के साथ मोतिहारी में “वोटर अधिकार यात्रा” में भाग लिया। विपक्ष ने इसे शक्ति प्रदर्शन के रूप में पेश किया, लेकिन उनके आगमन ने पुराने घावों को ताजा कर दिया।

दरअसल, कुछ साल पहले स्टालिन ने बिहार और उत्तर भारत के प्रवासी श्रमिकों को लेकर विवादित टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि “बिहार और उत्तर भारत के लोग तमिलनाडु आकर काम छीनते हैं।” यह बयान बिहारियों के सम्मान पर सीधा हमला माना गया था और उस समय भी गहरी नाराजगी देखने को मिली थी। अब जब वही स्टालिन बिहार की धरती पर पहुंचे, तो यह विवाद और भड़क उठा।
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बिहार सरकार के मंत्री संतोष सिंह ने स्टालिन की मौजूदगी पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जिन लोगों ने बिहार और बिहारियों का अपमान किया, उन्हें यहां बुलाना अपमानजनक है। उन्होंने राहुल गांधी और तेजस्वी यादव पर हमला करते हुए कहा कि ऐसे नेताओं को साथ खड़ा करके ये दोनों नेताओं ने पूरे बिहार को नीचा दिखाया है। संतोष सिंह ने जनता से अपील की कि वे इस अपमान का जवाब राजनीतिक तौर पर दें और अपमान करने वालों को कभी माफ न करें।
गौरतलब है कि यह पहला मौका नहीं है जब बाहरी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की टिप्पणियों ने बिहार की राजनीति में विवाद पैदा किया हो। हाल ही में तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की भागीदारी पर भी भाजपा ने आपत्ति जताई थी। उन्होंने भी कथित तौर पर बिहारियों पर टिप्पणी की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि “तेलंगाना का डीएनए, बिहार के डीएनए जैसा नहीं है।”






















