गुरुवार की सुबह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अचानक एक्शन मोड में आ गए और बिना किसी पूर्व सूचना के अपने मंत्रियों के आवास पर जा पहुंचे। उनके इस अप्रत्याशित दौरे से राजनीतिक गलियारों में अटकलों का बाजार गर्म हो गया है।
सुबह-सुबह की इस ‘सियासी वॉक’ के दौरान नीतीश कुमार पहले मंत्री अशोक चौधरी और फिर विजय चौधरी के घर पहुंचे। इसके बाद वे अपने प्रधान सचिव दीपक कुमार के आवास पर भी गए। इन मुलाकातों के पीछे क्या रणनीति है, यह अभी साफ नहीं हो पाया है।
सिर्फ औपचारिक मुलाकात या कोई बड़ा सियासी दांव?
मुख्यमंत्री का इस तरह मंत्रियों और प्रधान सचिव से मिलना कई सवाल खड़े कर रहा है। ऐसी किसी घटना के बाद यही कयासबाजी शुरू होती है कि क्या कोई उलटफेर होने वाला है? हालांकि, मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन संभावना है कि नीतीश कुमार सरकार की कुछ नीतियों को लेकर मंत्रियों से सीधे चर्चा कर रहे हैं।
2025 चुनाव की तैयारी या गठबंधन की नई बिसात?
बिहार में 2025 में विधानसभा चुनाव होने हैं, और उससे पहले राजनीतिक हलचल बढ़ना स्वाभाविक है। नीतीश कुमार का यह दौरा संकेत दे रहा है कि वह एक बार फिर अपनी पार्टी और सरकार को दुरुस्त करने में जुट गए हैं।
नीतीश कुमार को अक्सर राजनीतिक मास्टरस्ट्रोक खेलने के लिए जाना जाता है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस ‘अचानक दौरे’ के पीछे कोई बड़ी रणनीति छिपी है या यह सिर्फ एक प्रशासनिक पहल थी। लेकिन एक बात तो तय है – बिहार की सियासत में आने वाले दिनों में कुछ बड़ा जरूर होने वाला है!