वैसे तो अपने देश में राजनीतिक दल परिवारवाद का पर्याय रहे हैं। सियासत में सफलता में योग्यता से अधिक पारिवारिक विरासत की पूछ होती है। कर्मठ कार्यकर्ताओं को किनारे कर देने के किस्सों की पूरी लाइब्रेरी मिल जाएगी। वैसे तो बिहार भी इस परिवारवाद से अछूता नहीं है। लेकिन इन दिनों एक अलग ही कहानी चल रही है। ऐसे मौके कम आते हैं जबकि परिवार से बाहर के किसी व्यक्ति की सफलता के लिए घर में मतभेद हो जाएं। लेकिन इस बार बिहार में यही हुआ है। मामला सीएम नीतीश कुमार से जुड़ा है, जिनके कारण RJD के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के घर ‘आग’ लगी हुई है।
“बिहार की जनता को शराब पिला रहे नीतीश”
जगदानंद और सुधाकर में मतभेद
उपचुनावों के नतीजों के बाद अब बिहार की राजनीति में एक बार फिर सीएम नीतीश के पीएम पद की दावेदारी पर बहस शुरू हुई है। इसमें राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह का कहना है कि नीतीश कुमार पीएम पद के काबिल हैं। वे पहले भी नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में बता चुके हैं। एक बार फिर जगदानंद ने इसे दुहराया है। यह बयान इस बार तब आया है, जब जगदानंद अपनी ही पार्टी में किनारे बताए जा रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष रहने के बाद भी वे पार्टी के कार्यों में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। इसके बावजूद गठबंधन के दूसरे दल के नेता को पीएम पद का उम्मीदवार बता रहे हैं। लेकिन जगदानंद सिंह की इस दरियादिली पर उनके बेटे सुधाकर सिंह खुश नहीं हैं। वे खुलेआम नीतीश कुमार की योग्यता पर सवाल उठा रहे हैं।
नीतीश की उम्मीदवारी पर पिता-पुत्र भिड़े?
दरअसल, नीतीश कुमार पीएम बनेंगे या नहीं, यह तो 2024 के चुनाव में तय होगा। अभी बात उम्मीदवारी की चल रही है, जिसे जगदानंद सिंह समर्थन दे रहे हैं। लेकिन सुधाकर सिंह को अपने पिता की यह बात बिल्कुल नहीं सुहा रही है। जगदानंद कह रहे हैं नीतीश कुमार में पीएम पद की योग्यता है तो सुधाकर सिंह तंज कस रहे हैं कि बहुत योग्य हैं नीतीश कुमार तो संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बन जाएं।
जगदानंद-सुधाकर में पुरानी ‘अदावत’
वैसे तो पुत्र और पिता का संबंध सर्वोच्च श्रेणी में होता है। लेकिन राजनीति में इसका उपयोग अलग अलग तरीके से होता रहा है। जगदानंद सिंह और सुधाकर सिंह का रिश्ता भी अलग रहा है। आज दोनों एक दल में हैं। लेकिन ऐसा भी हुआ जब दोनों अलग अलग दलों में थे। सुधाकर की पहली चुनावी जीत के बीच में जगदानंद ऐसे तने कि सुधाकर 10 साल देरी से विधायक बन पाए। बात 2010 की है। जब सुधाकर सिंह राजद से टिकट नहीं मिलने पर रामगढ़ सीट से भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने उन्हें टिकट भी दे दिया। लेकिन जगदानंद ने अम्बिका यादव को राजद का उम्मीदवार बनवा दिया। तब जगदानंद ने न सिर्फ अम्बिका यादव का समर्थन किया, बल्कि अपने बेटे सुधाकर के खिलाफ खुलेआम कैम्पेन कर हराया।
बताया जाता है कि पिता-पुत्र के बीच इस घटना के बाद महीनों तक बोलचाल बंद थी। तब के हारे सुधाकर को 2020 में जीत मिली, वो भी राजद के टिकट पर। अब एक बार फिर सीएम नीतीश के पीएम पद की उम्मीदवारी पर पिता-पुत्र में ठनती दिख रही है।