जम्मू: जम्मू-कश्मीर विधानसभा में हाल ही में हुए हंगामे और वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर चल रहे विवाद पर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। विधानसभा सत्र के समापन के बाद पत्रकारों से बात करते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि संसद द्वारा पारित वक्फ बिल से जम्मू-कश्मीर की एक बड़ी आबादी को ठेस पहुंची है। उन्होंने इस मुद्दे पर अपनी पार्टी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, की ओर से भविष्य में उठाए जाने वाले कदमों का जिक्र करते हुए कहा, “जो सदन में नहीं हो सका, उसे हम सदन के बाहर करते रहेंगे। इस बिल को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस जो भी कदम उठाएगी, उसके बारे में हमारी पार्टी के प्रवक्ता आपको जानकारी देंगे।” उमर अब्दुल्ला ने विधानसभा में हुई घटनाओं पर भी नाराजगी जताई।
उन्होंने कहा, “विधानसभा में अजीब-अजीब बातें हुईं। आज मेरे खिलाफ वो लोग बोल रहे हैं, जिन्होंने भाजपा की गोद में बैठकर दूध और टॉफी की बात की थी। जिन्होंने जम्मू-कश्मीर की तबाही की, वही लोग आज हमें नसीहत दे रहे हैं।” उनके इस बयान को उन नेताओं पर निशाना माना जा रहा है, जो पहले भाजपा के साथ गठबंधन में थे और अब उनकी आलोचना कर रहे हैं। गौरतलब है कि वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर जम्मू-कश्मीर में तीव्र विरोध देखने को मिला है।
हाल ही में विधानसभा में नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायकों ने इस बिल के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया था, जिसमें विधायक हिलाल लोन और सलमान सागर ने वक्फ कानून की प्रतियां फाड़ दी थीं, वहीं विधायक अब्दुल मजीद लारमी ने अपना जैकेट फाड़कर विरोध जताया था। इस बिल में केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान किया गया है, जिसे लेकर मुस्लिम समुदाय में नाराजगी है। उमर अब्दुल्ला ने पहले भी इस बिल को लेकर अपनी आपत्ति जताई थी। मार्च 2025 में उन्होंने कहा था कि यह बिल एक खास धर्म को निशाना बनाता है, जिसके चलते देशभर में इसके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर में 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से ही क्षेत्र में राजनीतिक तनाव बना हुआ है, और वक्फ बिल ने इस तनाव को और बढ़ा दिया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस अब इस मुद्दे को लेकर आगे की रणनीति बनाने में जुट गई है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि वे इस बिल के खिलाफ हर संभव कदम उठाएंगे, ताकि जम्मू-कश्मीर की जनता के हितों की रक्षा की जा सके। इस बीच, भाजपा और उसके समर्थक इस बिल को वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता लाने वाला कदम बता रहे हैं, जबकि विपक्षी दल इसे अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों पर हमला करार दे रहे हैं। यह विवाद आने वाले दिनों में और गहरा सकता है, क्योंकि जम्मू-कश्मीर में पहले से ही संवेदनशील राजनीतिक माहौल के बीच इस तरह के मुद्दे क्षेत्र की शांति और स्थिरता पर असर डाल सकते हैं।