भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए संघर्ष के बीच घोषित सीजफ़ायर को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। पार्टी की ओर से पटना में कई जगहों पर पोस्टर लगाए गए हैं, जिनमें दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तस्वीर के साथ एक तीखा संदेश लिखा गया है – “माँ तुझे सलाम, हर कोई इंदिरा गांधी नहीं हो सकता है।”

कांग्रेस का कहना है कि जब देश की सुरक्षा खतरे में हो और सीमाओं पर तनाव हो, तो ऐसे समय में सीजफायर का फैसला दुर्बलता का संकेत देता है। पार्टी ने इंदिरा गांधी के नेतृत्व में हुए 1971 के युद्ध का हवाला देते हुए कहा कि तब भारत ने मजबूती से निर्णय लिया था, जिसकी परिणति बांग्लादेश की स्वतंत्रता के रूप में हुई।
संसद के विशेष सत्र की मांग को लेकर राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी
वहीं पटना पहुंचे कांग्रेस नेता जिग्नेश मेवाणी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी और अमेरिका की भूमिका पर तीखा सवाल उठाते हुए कहा कि “अगर इंदिरा गांधी आज होतीं, तो पाकिस्तान को सीधा जवाब मिलता, न कि ट्रम्प की मध्यस्थता में युद्धविराम होता।” उन्होंने पटना में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने खुद को 56 इंच का बताया था। तो फिर पुलवामा और पहलगाम जैसी घटनाओं के दौरान यह नेतृत्व कहां था? हमारे सैनिक मारे जा रहे हैं, ये किसकी जिम्मेदारी है?”
अमेरिका की भूमिका पर सवाल
वही कांग्रेस नेता जिग्नेश मेवाणी ने अमेरिका की मध्यस्थता को ‘शिमला समझौते का उल्लंघन’ बताते हुए पूछा “जब दो देश आपस में संघर्ष कर रहे हों, तो अमेरिका क्यों उंगली कर रहा है? भारत को गाइड करने वाला अमेरिका कौन होता है? कांग्रेस नेता ने मांग की कि सरकार इस पूरे मुद्दे पर विशेष संसद सत्र बुलाए, जिसमें विपक्ष को सवाल पूछने और जवाब पाने का अधिकार हो।
अडानी का जिक्र और मीडिया पर वार
जिग्नेश मेवाणी ने यह भी आरोप लगाया कि कहीं मोदी सरकार अमेरिका के दबाव में गौतम अडानी जैसे उद्योगपतियों के हितों को साधने की कोशिश तो नहीं कर रही। साथ ही उन्होंने सरकार से सवाल किया कि “जो टीवी चैनल कराची और इस्लामाबाद पर भारत के हमले की झूठी खबरें चला रहे थे, क्या उन पर कोई कार्रवाई होगी?”