नई दिल्ली: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के भीतर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर अंदरूनी मतभेद सामने आए हैं, जिसने पार्टी की एकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक चैनल के कार्यक्रम के दौरान इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की, जहां कांग्रेस के भीतर चल रही राजनीतिक उठापटक को उजागर किया।
बता दें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ एक सैन्य अभियान था, जिसे हाल ही में पाकिस्तान और पाकिस्तान-कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाने के लिए अंजाम दिया गया था। इस अभियान की शुरुआत में कांग्रेस के शीर्ष नेता, जिसमें मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी शामिल हैं, ने भारतीय सशस्त्र बलों की सराहना की थी और आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की प्रशंसा कीथी। वहीं अब पार्टी के भीतर इस अभियान को लेकर मतभेद उभरने लगे हैं। कांग्रेस के कुछ नेता और सदस्य इस अभियान के राजनीतिक और कूटनीतिक प्रभावों को लेकर चिंतित हैं, जिससे पार्टी में खींचतान बढ़ गई है। यह मतभेद पार्टी की रणनीति और एकजुटता पर सवाल उठा रहे हैं, विशेषकर ऐसे समय में जब राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर एकजुटता की अपेक्षा की जाती है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ का संदर्भ भारत और पाकिस्तान के बीच ongoing तनाव के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, जहां आतंकवाद और सीमा पार गतिविधियों को लेकर लगातार चुनौतियाँ बनी हुई हैं। इस अभियान को 2019 के बालाकोट हवाई हमलों की तर्ज पर देखा जा रहा है, जो भारत की आतंकवाद के खिलाफ आक्रामक रक्षा नीतियों का हिस्सा है।
पार्टी के अंदरूनी मतभेदों के बावजूद, कांग्रेस ने initially इस अभियान का समर्थन किया था, लेकिन अब यह स्पष्ट हो रहा है कि पार्टी के भीतर अलग-अलग धड़े हैं, जो इस मुद्दे पर अलग-अलग राय रखते हैं। इस स्थिति से पार्टी की छवि और उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर एकजुटता पर प्रभाव पड़ सकता है।