बिहार में BPSC की 67वीं प्रारंभिक परीक्षा में हुए पेपर लीक और कथित अनियमितताओं को लेकर प्रदेश कांग्रेस ने पटना में एक अहम प्रेस वार्ता की। इस अवसर पर कांग्रेस नेताओं ने इस परीक्षा विवाद को “बिहार का नया व्यापम घोटाला” करार देते हुए छात्रों के हक़ में लड़ाई को और तेज़ करने की बात कही।
प्रेस वार्ता की शुरुआत युवा कांग्रेस अध्यक्ष शिव प्रकाश गरीब दास ने की। उन्होंने कहा कि “गरीब दास मेरा नाम है लेकिन छात्रों के लिए संघर्ष में हम अमीर हैं। डंडे खाते हैं, मसाल जलाते हैं, ताकि छात्र न्याय पा सकें।” उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी इस लड़ाई को सिर्फ कोर्ट में ही नहीं, बल्कि सड़कों से लेकर संसद तक जारी रखेगी।
“डबल इंजन सरकार की नाकामी उजागर”
राज्य कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने इस पूरे विवाद को लेकर राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि “एक परीक्षा में दो अलग-अलग प्रश्नपत्र देना संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का सीधा उल्लंघन है। यह सिर्फ परीक्षा प्रणाली का नहीं, बल्कि लाखों युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।”
उन्होंने सवाल उठाया कि बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) का अध्यक्ष एक बाहरी राज्य से क्यों नियुक्त किया गया जबकि बिहार में भी योग्य लोग मौजूद हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस नियुक्ति और पेपर लीक के तार कहीं न कहीं गुजरात और बीजेपी से जुड़े हुए हैं।
छात्रों के संघर्ष को कांग्रेस बनाएगी जन आंदोलन
प्रेस वार्ता में नेताओं ने साफ किया कि कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को राजनीतिक दल की बजाय एक सामाजिक जिम्मेदारी की तरह देख रही है। “यह सिर्फ छात्रों की परीक्षा नहीं थी, यह व्यवस्था की परीक्षा थी – और यह बुरी तरह फेल हुई,” शिव प्रकाश ने कहा।
उन्होंने यह भी दावा किया कि नीट पेपर लीक में आरोपी संजीव मुखिया का सत्ता पक्ष से संबंध है और उनकी पत्नी एक प्रमुख दल की उम्मीदवार रही हैं। यह दर्शाता है कि किस तरह सत्ता में बैठे लोग शिक्षा व्यवस्था को नियंत्रित कर रहे हैं।
“यह तीसरी आंख वाली सरकार है”
प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने सरकार को “तीसरी आंख वाली सरकार” बताया जो बिना ज़मीन पर देखे, ऊपर से सब कुछ नियंत्रित कर रही है। उन्होंने कहा, “जब यूनिवर्सिटी, आयोग, संस्थान – सब में बाहरी नियुक्तियाँ हो रही हैं, तो बिहार के नौजवानों को रोज़गार और सम्मान कहां मिलेगा?” प्रेस वार्ता का अंत करते हुए कांग्रेस नेताओं ने दोहराया कि वे छात्रों की मांग — परीक्षा की पुनः परीक्षा या रद्दीकरण — के लिए हर मंच पर आवाज़ उठाते रहेंगे। “हम युवाओं के अधिकारों से समझौता नहीं करेंगे। यह लड़ाई अब न्याय की नहीं, स्वाभिमान की है।”