मुजफ्फरपुर में नाबालिग दलित लड़की से बलात्कार और फिर इलाज के दौरान पटना में हुई उसकी मौत के मामले ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है। पटना में इसको लेकर काफी आक्रोश देखा जा रहा है। पहले कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन जा कर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से मुलाक़ात की। उसके बाद भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं का आक्रोश कम नहीं हुआ। कांग्रेसियों ने स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के आवास का घेराव कर दिया है।

सैकड़ों की संख्या में कांग्रेस के कार्यकर्ता मंगल पांडेय के आवास के बाहर हाथों में तख्ती और बैनर लेकर नारे लगा रहे हैं। आवास के बाहर लगे नेम प्लेट पर गोबर लगा दिया है। साथ ही मंगल पांडेय के पोस्टर पर कालिख भी पोत दी है। मंगल पांडेय नहीं, ये है कलंक पांडेय का नारा लगा रहे हैं। कांग्रेसी स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। इस दौरान मंगल पांडेय के आवास के बाहर पुलिस भी बड़ी संख्या में मौजूद है, जो प्रदर्शनकारियों को खदेड़ रही है।

कांग्रेस नेता राजेश राठौर ने कहा कि जिस बच्ची की जान गई उसके जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ मंगल पांडेय हैं। राजेश राठौर ने आगे कहा कि छह दिन तक वह बच्ची इलाज के लिए इधर-उधर भटकती रही। कभी एसकेएमसीएच से पीएमसीएच भेजा गया तो कभी पीएमसीएच से एम्स, इस दौरान बच्ची को कई घंटे एंबुलेंस में रहना पड़ा। एंबुलेंस में ऑक्सीजन की कमी हुई। जिस एंबुलेंस में बच्ची थी वह नॉन एसी थी।

राजेश राठौर ने कहा कि कांग्रेस द्वारा जोर लगाए जाने पर उस बच्ची को बेड मिला लेकिन खराब स्वास्थ्य व्यवस्था के कारण उस बच्ची की जान चली गई। जिस बच्ची की जान गई उसके जिम्मेदार मंगल पांडेय हैं। मंगल पांडे पर हत्या का मुकदमा होना चाहिए। मंगल पांडेय को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए।
घटना के बाद जांच के लिए बनाई गई है टीम
बता दें कि घटना के बाद बच्ची का पहले मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में इलाज हुआ था। इसके बाद उसे पीएमसीएच (पटना) लाया गया था। दोनों जगह इलाज में लापरवाही के आरोप लगे हैं। इस पूरे मामले में जब विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू किया तो मंत्री मंगल पांडेय ने जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग के तीन डायरेक्टर इन चीफ के नेतृत्व में जांच कमेटी का गठन किया है।
दूसरी ओर सरकार ने एक्शन लेते हुए पीएमसीएच के प्रभारी उपाधीक्षक डॉ. अभिजीत को पद से हटा दिया है। मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच की डॉ. कुमारी विभा को भी सस्पेंड किया गया है। आरोपी की गिरफ्तारी हुई है। 15 दिनों के भीतर स्पीडी ट्रायल चलाकर कठोर कार्रवाई की बात सरकार की ओर से कही गई है। इसी बीच अब यह मुद्दा राजभवन तक पहुंच गया है।