नई दिल्ली : 1972 में शुक्र ग्रह (वीनस) के लिए एक असफल मिशन पर लॉन्च किया गया सोवियत अंतरिक्ष यान कोस्मोस 482 शनिवार सुबह पृथ्वी पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के अनुसार, इस यान का अंतिम बार जर्मनी के ऊपर रडार द्वारा पता लगाया गया था, जिसके बाद यह पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर गया और संभवतः प्रशांत महासागर के पश्चिमी हिस्से में, गुआम के पास, दुर्घटनाग्रस्त हुआ। इस घटना में किसी भी तरह के नुकसान या हताहत की सूचना नहीं मिली है।
53 साल तक पृथ्वी की परिक्रमा
कोस्मोस 482 सोवियत संघ के वेनेरा कार्यक्रम का हिस्सा था, जिसके तहत शुक्र ग्रह की सतह और वायुमंडल का अध्ययन करने के लिए कई अंतरिक्ष यान भेजे गए थे। इस कार्यक्रम के तहत 1960 और 1970 के दशक में 29 अंतरिक्ष यान लॉन्च किए गए, जिनमें से 16 शुक्र तक पहुँचने में सफल रहे। हालांकि, कोस्मोस 482 का मिशन एक तकनीकी खराबी के कारण असफल रहा। इसके रॉकेट के ऊपरी हिस्से में एक टाइमर की गड़बड़ी के चलते इंजन शुरू नहीं हो सका, जिसके कारण यह यान पृथ्वी की निचली कक्षा में फंस गया। पिछले 53 सालों से यह लगभग 3 फीट चौड़ा और 1,069 पाउंड वजनी यान पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा था, जब तक कि इसकी कक्षा धीरे-धीरे छोटी होकर यह वायुमंडल में प्रवेश नहीं कर गया।
शुक्र के लिए बनाया गया था यह यान
विशेषज्ञों के अनुसार, कोस्मोस 482 को शुक्र ग्रह की कठिन परिस्थितियों का सामना करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। शुक्र का वायुमंडल पृथ्वी की तुलना में 90 गुना घना है और वहाँ की सतह का औसत तापमान 867 डिग्री फ़ारेनहाइट (464 डिग्री सेल्सियस) है। इस यान को टाइटेनियम मिश्र धातु से बनाया गया था, जो उच्च तापमान और दबाव को झेलने में सक्षम है। यही कारण है कि यह पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश के दौरान नहीं जला और संभवतः एक टुकड़े में सतह तक पहुँच गया।
इतिहास में कोस्मोस 482
कोस्मोस 482 की कहानी अंतरिक्ष अन्वेषण के उस दौर की याद दिलाती है, जब अंतरिक्ष की दौड़ अपने चरम पर थी। सोवियत संघ का वेनेरा कार्यक्रम अपनी कई सफलताओं के लिए जाना जाता है, जिसमें वेनेरा 4 ने पहली बार किसी अन्य ग्रह के वायुमंडल से डेटा भेजा था। लेकिन कोस्मोस 482 जैसे असफल मिशन उस समय की तकनीकी चुनौतियों को भी दर्शाते हैं। यह यान उस दौर का आखिरी परिक्रमा करने वाला अवशेष था, जो अब पृथ्वी पर लौट आया है।