बिहार की राजनीति में बजट सत्र के दौरान सियासी पारा चढ़ गया है। सत्ता पक्ष और विपक्ष जहां आमने-सामने हैं, वहीं महागठबंधन के भीतर भी खींचतान तेज हो गई है। कांग्रेस ने अब तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री चेहरे (CM Face) को लेकर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। अब तक माना जा रहा था कि राजद (RJD) ही महागठबंधन का सबसे बड़ा दल है, इसलिए मुख्यमंत्री पद का दावेदार तेजस्वी यादव ही होंगे। लेकिन कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा के बयान ने इस समीकरण को झटका दे दिया।
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कांग्रेस ने क्यों खड़ा किया ‘सीएम फेस’ का सवाल?
कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा ने कहा कि “तेजस्वी यादव अभी सिर्फ नेता प्रतिपक्ष हैं। महागठबंधन की तरफ से मुख्यमंत्री पद का चेहरा कौन होगा, यह कांग्रेस आलाकमान—मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और सोनिया गांधी तय करेंगे।”
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि “जिसकी सीट ज्यादा होगी, उसी पार्टी का मुख्यमंत्री होगा।” साफ है कि कांग्रेस कम सीटों पर चुनाव लड़ेगी, इसलिए उसकी दावेदारी कमजोर होगी। लेकिन सवाल यह है कि अगर कांग्रेस को सीटें कम मिलेंगी, तो फिर सीएम फेस पर आपत्ति क्यों?
क्या कांग्रेस राजद को कमजोर करने की कोशिश कर रही है?
कांग्रेस इस बयान के जरिए महागठबंधन में अपनी सियासी हैसियत बढ़ाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस जानती है कि राजद की सीटें ज्यादा होंगी, लेकिन फिर भी उसने यह सवाल उठाकर खुद को अहम भूमिका में लाने की चाल चली है। कांग्रेस पिछले 35 वर्षों से बिहार में बड़ा दल नहीं रही है, फिर भी मुख्यमंत्री पद के फैसले में हस्तक्षेप कर रही है।
RJD ने दिया करारा जवाब – “सबसे बड़े दल का नेता ही बनेगा मुख्यमंत्री!”
कांग्रेस विधायक के बयान के बाद राजद विधायक सतीश दास ने पलटवार करते हुए कहा कि “कांग्रेस खुद कह रही है कि बड़े दल का नेता मुख्यमंत्री होगा। आज के समय में बिहार में सबसे बड़ा दल राजद है। महागठबंधन का नेतृत्व राष्ट्रीय जनता दल के पास है और तेजस्वी यादव ही इसके नेता हैं।”
राजद के इस बयान से साफ हो गया है कि वह कांग्रेस की किसी भी दखलअंदाजी को बर्दाश्त नहीं करने वाला।
महागठबंधन में दरार के संकेत? आगे क्या?
क्या कांग्रेस सिर्फ दबाव की राजनीति कर रही है या वाकई महागठबंधन में अंदरूनी कलह बढ़ रही है? क्या कांग्रेस ज्यादा सीटों की मांग को लेकर राजद पर दबाव बना रही है? क्या यह संकेत है कि महागठबंधन में मुख्यमंत्री पद को लेकर असहमति गहराती जा रही है?