जैसलमेर: राजस्थान के जैसलमेर जिले में जिला प्रशासन ने पटाखों के उपयोग, बिक्री और खरीद पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। इस फैसले के तहत जिले में पटाखों की दुकानें भी बंद रहेंगी। यह कदम वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने और स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है, खासकर तब जब क्षेत्र में भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव बढ़ रहा है।
जिला प्रशासन के इस निर्णय को हाल के दिनों में बढ़ते प्रदूषण और सुरक्षा चिंताओं से जोड़कर देखा जा रहा है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया, “पटाखों से होने वाला प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, और वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए यह प्रतिबंध तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है।”
यह पहली बार नहीं है जब राजस्थान में पटाखों पर प्रतिबंध लगाया गया है। साल 2020 में, कोविड-19 महामारी के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदूषण से कोविड मरीजों को बचाने के लिए राज्य में पटाखों पर रोक लगाई थी। उस समय पटाखे बेचने वालों पर 10,000 रुपये और उपयोग करने वालों पर 2,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया था। गहलोत ने तब कहा था कि यह प्रतिबंध धार्मिक भावनाओं से परे, मानवता के हित में लिया गया फैसला है।
विशेषज्ञों के अनुसार, पटाखों से निकलने वाला धुआं और प्रदूषक, जैसे PM2.5 और PM10 कण, सल्फर डाइऑक्साइड जैसी जहरीली गैसें, सांस संबंधी बीमारियों को बढ़ावा देते हैं। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के अध्ययनों में पाया गया है कि त्योहारी सीजन, खासकर दीपावली के दौरान, भारत में वायु प्रदूषण का स्तर कई गुना बढ़ जाता है, जिससे अस्पतालों में मरीजों की संख्या में वृद्धि होती है।
यह प्रतिबंध ऐसे समय में आया है जब राजस्थान के पश्चिमी जिलों, जैसे जैसलमेर, बाड़मेर और जोधपुर में, भारत-पाकिस्तान सीमा पर बढ़ते तनाव के चलते रात में ब्लैकआउट लागू किया गया है। जैसलमेर और बाड़मेर में रात 9 बजे से सुबह 4 बजे तक, जबकि जोधपुर में रात 12:30 बजे से सुबह 4 बजे तक ब्लैकआउट लागू है। इसके अलावा, बीकानेर और श्रीगंगानगर में ड्रोन उड़ाने और पटाखों के उपयोग पर भी रोक लगाई गई है।
जिला प्रशासन ने लोगों से इस प्रतिबंध का सख्ती से पालन करने की अपील की है और कहा है कि इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कदम जनहित और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।
इस बीच, स्थानीय लोगों का कहना है कि वे इस फैसले का समर्थन करते हैं, लेकिन कुछ व्यापारियों ने चिंता जताई है कि इससे उनकी आजीविका प्रभावित हो सकती है। प्रशासन ने व्यापारियों से वैकल्पिक व्यवसायों की ओर ध्यान देने का सुझाव दिया है।
भारत में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या है, और त्योहारी मौसम में पटाखों का उपयोग इसे और बदतर बना देता है। विशेषज्ञों का कहना है कि PM2.5 जैसे महीन कण फेफड़ों में गहराई तक पहुंचकर सांस की बीमारियों को बढ़ावा देते हैं। पड़ोसी राज्य हरियाणा में भी इसी तरह के प्रतिबंध लागू किए गए हैं, जहां आयातित पटाखों को अवैध घोषित किया गया है।
जैसलमेर प्रशासन का यह कदम न केवल स्वास्थ्य सुरक्षा को प्राथमिकता देता है, बल्कि क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।