राज्य में अपराध नियंत्रण (Crime Control) और आतंकवाद निरोधक कार्रवाई को लेकर पुलिस मुख्यालय का ताजा बयान मौजूदा सुरक्षा रणनीति की गंभीरता और दिशा दोनों को स्पष्ट करता है। पुलिस के अनुसार, अपराधियों की आर्थिक कमर तोड़ने की दिशा में चल रही संपत्ति जब्ती अभियान में अब तक करीब 1400 अपराधियों की पहचान की जा चुकी है। इनमें से लगभग 700 मामलों में कानूनी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जबकि शेष पर कार्रवाई की तैयारी अंतिम चरण में है। पुलिस अधिकारियों का मानना है कि आर्थिक स्रोत खत्म होने से संगठित अपराध और आतंकी गतिविधियों पर सीधा असर पड़ेगा, इसलिए नए साल से इस अभियान को और तेज किया जाएगा।
पुलिस मुख्यालय ने यह भी स्पष्ट किया कि बीते वर्ष सभी प्रमुख पर्व और त्योहारों के दौरान मुख्यालय स्तर से लगातार मॉनिटरिंग की गई। कुछ स्थानों पर तनावपूर्ण परिस्थितियां जरूर बनीं, लेकिन समय रहते हस्तक्षेप और स्थानीय पुलिस की मुस्तैदी के कारण सभी त्योहार शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराए गए। यह पुलिस की उस रणनीति का परिणाम है, जिसमें पहले से इनपुट जुटाने और मौके पर त्वरित कार्रवाई को प्राथमिकता दी गई।
विधानसभा चुनाव के दौरान भी कानून व्यवस्था पुलिस के लिए बड़ी चुनौती थी। चुनाव प्रक्रिया के दौरान 1650 से अधिक कंपनियों की तैनाती की गई, जिससे संवेदनशील इलाकों पर विशेष नजर रखी जा सकी। तमाम चुनौतियों के बावजूद चुनाव शांतिपूर्ण और सफल तरीके से संपन्न होना पुलिस प्रशासन के लिए एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
आतंकवाद के खिलाफ मोर्चे पर एंटी टेरर स्क्वायड की भूमिका और भी अहम हो गई है। एटीएस लगातार संवेदनशील प्रतिष्ठानों की रेकी कर रही है और इस वर्ष 41 महत्वपूर्ण स्थानों पर रेकी के साथ मॉक ड्रिल आयोजित की गई। बॉम्ब डिस्पोजल स्क्वायड की क्षमता भी बढ़ाई गई है, जिससे किसी भी आपात स्थिति से निपटने में प्रतिक्रिया समय कम किया जा सके। सोशल मीडिया के जरिए फैलने वाले राष्ट्रविरोधी कंटेंट पर भी कड़ी निगरानी रखी जा रही है। वर्ष 2025 में 176 ऐसे व्यक्तियों को चिन्हित किया गया, जिनकी ऑनलाइन गतिविधियां संदिग्ध पाई गईं, और इनमें से कुछ पर कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया जारी है।
पुलिस बल की दक्षता बढ़ाने के लिए ट्रेनिंग को प्राथमिकता दी गई है। इस वर्ष 176 पुलिसकर्मियों को एनएसजी मानेसर और कोलकाता में विशेष प्रशिक्षण दिलाया गया, जिससे आतंकवाद और विशेष परिस्थितियों से निपटने की क्षमता मजबूत हो सके। इसके साथ ही एटीएस को और प्रभावी बनाने के लिए पटना, गया, मोतिहारी, दरभंगा और पूर्णिया में क्षेत्रीय इकाइयां स्थापित करने का प्रस्ताव गृह विभाग को भेजा गया है। भविष्य में हर थाना स्तर पर आतंकवाद से जुड़ी सूचनाओं के संकलन के लिए विशेष अधिकारी और कर्मी की तैनाती की योजना भी है।
पुलिस का फोकस केवल सख्ती तक सीमित नहीं है, बल्कि जनसंपर्क और विश्वास बहाली पर भी है। एटीएस द्वारा चलाए जा रहे पब्लिक आउटरीच प्रोग्राम का उद्देश्य युवाओं में राष्ट्रभक्ति की भावना को मजबूत करना और उन्हें भटकाव से दूर रखना है। नए साल को लेकर सभी थानों को निर्देश दिए गए हैं कि गश्त बढ़ाई जाए, पुलिस सड़कों पर अधिक दिखाई दे और आम लोगों की समस्याओं को संवेदनशीलता के साथ सुना जाए। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि लक्ष्य यह है कि जनता थाना जाने से डरे नहीं, बल्कि उसे मदद का भरोसा मिले।
सीमावर्ती इलाकों में भी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया गया है, जहां पुलिस और एसएसबी संयुक्त रूप से कार्रवाई कर रही है। स्पेशल ब्रांच और इंटेलिजेंस एजेंसियों के सहयोग से लगातार सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जा रहा है। पुलिस का दावा है कि आने वाले समय में इन सभी प्रयासों के जरिए राज्य में शांति, मजबूत कानून व्यवस्था और जनता का भरोसा और अधिक पुख्ता किया जाएगा।




















