दरभंगा जिले के सदर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (Darbhanga PHC Negligence) से एक बार फिर स्वास्थ्य व्यवस्था की जमीनी हकीकत उजागर हो गई है। फैमिली प्लानिंग ऑपरेशन के बाद जिन महिलाओं को बेहतर देखभाल, आराम और साफ-सुथरा वातावरण मिलना चाहिए था, उन्हें फर्श पर गद्दे डालकर लिटा दिया गया। अस्पताल प्रशासन के इस रवैये ने स्वास्थ्य ढांचे की गंभीर खामियों और तैयारियों की पोल खोल दी है। घटना के बाद सामने आई तस्वीरों ने लोगों में गुस्सा और चिंता दोनों पैदा कर दी है। जहां सरकार और स्वास्थ्य विभाग मातृ स्वास्थ्य को सुधारने के लिए करोड़ों का बजट जारी करते हैं, वहीं ऐसी घटनाएँ बताती हैं कि योजनाएँ कागजों पर तो दिखती हैं, लेकिन जमीन पर उनकी असली तस्वीर कुछ और ही होती है।

सूत्रों के अनुसार, कुल 22 महिलाओं का फैमिली प्लानिंग ऑपरेशन किया गया। लेकिन अस्पताल में पर्याप्त बेड उपलब्ध नहीं होने के कारण इन्हें फर्श पर ही लिटाया गया। कई महिलाओं को ठंड के मौसम में बिना उचित सुविधा के लेटे देख परिजन भी नाराज नजर आए। स्थानीय लोगों के अनुसार स्वास्थ्य केंद्र में भीड़ बढ़ने के बावजूद अस्पताल प्रबंधन पहले से व्यवस्था बनाने में नाकाम रहा।
जब इस मामले पर ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर दीपक कुमार से सवाल किया गया तो उन्होंने स्पष्ट किया कि केंद्र में स्थान की कमी है और ठंड के दिनों में ऑपरेशन की संख्या बढ़ने से कन्जेशन बढ़ जाता है। डॉक्टर का दावा है कि महिलाओं को गद्दे उपलब्ध कराए गए हैं और परिस्थिति को देखते हुए तत्काल सुधार के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि बेड होते तो मरीजों को और बेहतर सुविधा दी जा सकती थी, लेकिन फिलहाल सरकारी गाइडलाइनों के तहत जितनी व्यवस्था संभव है, उतनी उपलब्ध कराई जा रही है।
डॉक्टर दीपक ने निरीक्षण में किसी बड़ी गड़बड़ी से इनकार किया, लेकिन बेड की कमी को मुख्य समस्या बताया। अस्पताल प्रबंधन के इस बयान के बावजूद सवाल यही उठता है कि यदि ऑपरेशनों की संख्या पहले से अनुमानित थी, तो अतिरिक्त व्यवस्था क्यों नहीं की गई? क्या प्रशासन को यह नहीं पता कि फैमिली प्लानिंग ऑपरेशन सीजनल होते हैं और ठंड के दिनों में मरीजों की संख्या अचानक बढ़ जाती है?
महिलाओं को फर्श पर लेटाए जाने की यह तस्वीरें समाज और सिस्टम दोनों को झकझोरने वाली हैं। सवालों की एक लंबी लिस्ट खड़ी हो जाती है क्या अस्पतालों में संसाधन पर्याप्त नहीं? क्या ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र आज भी प्राथमिक सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं? और सबसे अहम—क्या मरीज की गरिमा और सुरक्षा प्रशासन की प्राथमिकता में शामिल है? स्थानीय लोगों और मरीजों के परिजनों ने इस घटना की उच्चस्तरीय जांच, जवाबदेही तय करने और व्यवस्था सुधार की मांग की है।
















