नयी दिल्ली: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत और रूस के बीच गहरे होते रिश्तों को वैश्विक समीकरण बदलने वाला करार दिया है। ‘रूस और भारत: एक नए द्विपक्षीय एजेंडे की ओर’ सम्मेलन में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बोलते हुए उन्होंने कहा कि दोनों देशों की दोस्ती न सिर्फ पुरानी है, बल्कि विश्वास और सम्मान की मजबूत नींव पर टिकी है। जयशंकर ने जोर देकर कहा कि यह रिश्ता बदलती दुनिया में भी लगातार नई ऊंचाइयां छू रहा है और दोनों देशों की विदेश नीति का केंद्र बिंदु विशेष रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना है।
ऐतिहासिक रिश्ते का नया अध्याय
जयशंकर ने बताया कि भारत और रूस ने हर दौर में एक-दूसरे के साथ तालमेल बिठाने के नए रास्ते तलाशे हैं। इस सहयोग से न केवल दोनों देशों को लाभ हुआ, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक शांति व समृद्धि को भी बल मिला है। उन्होंने कहा, “हमारा रिश्ता समय की कसौटी पर खरा उतरा है और आज भी यह वैश्विक मंच पर अपनी छाप छोड़ रहा है।”
100 अरब डॉलर व्यापार का सपना
विदेश मंत्री ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य का भी जिक्र किया। यह सम्मेलन रूस में भारतीय दूतावास और रूसी अंतर्राष्ट्रीय मामलों की परिषद (RIAC) के संयुक्त प्रयास से आयोजित हुआ था। इस मौके पर रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भी शिरकत की और घोषणा की कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, पीएम नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर जल्द भारत दौरे पर आएंगे।
लावरोव का बयान
लावरोव ने कहा, “पुतिन ने भारत यात्रा का न्योता स्वीकार कर लिया है और इसकी तैयारियां चल रही हैं।” उन्होंने दोनों देशों के बीच बढ़ते व्यापार और तकनीकी सहयोग की तारीफ की, यह कहते हुए कि भारत और रूस मिलकर नई तकनीकों का विकास कर रहे हैं, जिससे दोनों को फायदा हो रहा है। जयशंकर ने इस साझेदारी को वैश्विक संतुलन के लिए अहम बताते हुए कहा कि भारत-रूस का यह गठजोड़ आने वाले दिनों में दुनिया के समीकरण को नई दिशा दे सकता है।