दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) को करारी हार का सामना करना पड़ा, लेकिन क्या इस हार से कांग्रेस को फायदा हुआ? कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के पति और बिजनेसमैन रॉबर्ट वाड्रा का मानना है कि इस चुनाव में कांग्रेस के वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई है और यह पार्टी के लिए बड़ा संकेत है।
वाड्रा ने कहा कि “आपको वोट प्रतिशत को देखना होगा। कई जगहों पर कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही है। ज़मीनी स्तर पर बड़ा बदलाव आया है। आम आदमी पार्टी की हार इसलिए हुई क्योंकि उनके मतदाता कांग्रेस की ओर चले गए।”
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क्या AAP के वोट कांग्रेस में शिफ्ट हुए?
दिल्ली में इस बार आम आदमी पार्टी (AAP) को बड़ा झटका लगा। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पार्टी, जिसने 2015 और 2020 में प्रचंड बहुमत हासिल किया था, इस बार सत्ता से बाहर हो गई। रॉबर्ट वाड्रा का दावा है कि AAP के मतदाता अब कांग्रेस की ओर रुख कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि “वोट प्रतिशत कांग्रेस की तरफ मुड़ रहा है। यह ज़मीनी बदलाव का संकेत है। आम आदमी पार्टी के कमजोर होने का सीधा फायदा कांग्रेस को हुआ।”
हालांकि, चुनावी नतीजे यह दिखाते हैं कि कांग्रेस अब भी दिल्ली में बहुत मजबूत नहीं हो पाई है, लेकिन कई सीटों पर वह AAP के मुकाबले दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।
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INDIA गठबंधन को एकजुट रहने की सलाह
रॉबर्ट वाड्रा ने चुनावी परिणामों पर आगे कहा कि अगर विपक्षी दलों को बीजेपी से लड़ना है, तो उन्हें एकजुट रहना होगा। उन्होंने कहा कि “बीजेपी से मुकाबला करने के लिए INDIA गठबंधन को एकजुट रहना होगा। हमें अपने मतभेदों को किनारे रखकर साथ रहना होगा।”
गौरतलब है कि दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन मतदाता पूरी तरह से गठबंधन के पक्ष में नहीं आए। इस हार के बाद INDIA गठबंधन की एकजुटता पर भी सवाल उठ रहे हैं।
दिल्ली में कांग्रेस की स्थिति:
- 2015 में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी और उसका वोट शेयर 9.7% था।
- 2020 में कांग्रेस फिर से शून्य पर रही, और उसका वोट शेयर घटकर 4.3% रह गया।
- 2024 में कांग्रेस का प्रदर्शन थोड़ा बेहतर दिखा, लेकिन वह अभी भी सत्ता से दूर है।
रॉबर्ट वाड्रा का बयान यह संकेत दे रहा है कि कांग्रेस अब खुद को दिल्ली में पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रही है।
क्या कांग्रेस फिर से दिल्ली में वापसी कर सकती है?
रॉबर्ट वाड्रा के दावे के बावजूद, कांग्रेस अभी भी दिल्ली की राजनीति में हाशिए पर है। हालांकि, AAP के कमजोर होने से उसे नया मौका मिल सकता है। अब देखना यह होगा कि क्या कांग्रेस AAP की हार का फायदा उठाकर खुद को मुख्य विपक्षी दल के रूप में स्थापित कर पाती है या नहीं। क्या यह दिल्ली में कांग्रेस की वापसी का संकेत है? यह आने वाले चुनाव तय करेंगे।