Delhi GRAP-4 Controversy: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर को देखते हुए GRAP-4 लागू कर दिया गया, लेकिन इस फैसले का समय और तरीका अब सियासी बहस के केंद्र में आ गया है। एक ओर सरकार इसे पर्यावरण और जनस्वास्थ्य की मजबूरी बता रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे चयनात्मक, असंगत और राजनीतिक मंशा से प्रेरित करार दे रहा है। राजद सांसद मनोज झा और कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी के बयानों ने इस मुद्दे को सिर्फ पर्यावरणीय संकट तक सीमित नहीं रहने दिया, बल्कि इसे लोकतांत्रिक स्पेस, किसान विमर्श और राजनीतिक स्वतंत्रता से जोड़ दिया है।
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मनोज झा का कहना है कि सरकार ने खुद यह मान लिया है कि हालात प्रतिकूल हैं, लेकिन सवाल यह है कि GRAP-4 अचानक कब और क्यों लागू हुआ। उन्होंने रैली के दिन इस तरह के कड़े प्रतिबंधों को लेकर असमंजस जताया और कहा कि यह समझना मुश्किल है कि ऐसे फैसले किस प्रक्रिया के तहत लिए जाते हैं। झा ने वायु प्रदूषण को मौसमी बहस बताते हुए सरकार की नीति पर बड़ा सवाल खड़ा किया। उनके मुताबिक हर साल सर्दियों के दो-तीन महीनों में अचानक प्रदूषण, दमा, बच्चों और बुजुर्गों की सेहत पर चिंता शुरू हो जाती है, लेकिन जैसे ही मौसम बदलता है और थोड़ी बारिश हो जाती है, यह मुद्दा फिर हाशिये पर चला जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि जब दोष तय करने की बात आती है तो सबसे पहले किसानों की पराली को निशाना बनाया जाता है, जबकि शहरी प्रदूषण, औद्योगिक उत्सर्जन और नीतिगत विफलताओं पर गंभीरता से चर्चा नहीं होती।
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कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने GRAP-4 के समय को लेकर और भी तीखा हमला बोला। उन्होंने इसे संयोग नहीं बल्कि सोच-समझकर उठाया गया कदम बताया, क्योंकि इसी दिन दिल्ली में कांग्रेस की विशाल रैली प्रस्तावित थी। तिवारी ने कहा कि अगर सरकार चाहती है तो प्रदूषण के नाम पर वाहनों की एंट्री रोकी जा सकती है, लेकिन यह भी सच्चाई है कि दिल्ली को गैस चेंबर में बदलने की जिम्मेदारी मौजूदा सत्ता पर है। उनके शब्दों में, आम आदमी पार्टी ने इसकी नींव रखी और भाजपा ने इसे गैस टनल में तब्दील कर दिया। उन्होंने इसे गंभीर चिंता का विषय बताते हुए कहा कि मौजूदा सरकार पूरी तरह असफल साबित हुई है और अब बदले की भावना से फैसले ले रही है।

RJD नेता मृत्युंजय तिवारी ने SIR के खिलाफ कांग्रेस द्वारा आज दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित रैली पर कहा कि वोट चोरी को लेकर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं, राहुल गांधी इसे लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं और प्रमाण भी दे रहे हैं। लेकिन ये वोट चोरी नहीं, वोट डकैती, वोट अपहरण का मामला है। अगर सचमुच वोट डकैती के खिलाफ लड़ाई लड़नी है तो देश में जितने विपक्ष के सांसद, विधायक हैं सब सड़कों पर रहें जब तक चुनाव आयोग या सरकार कोई फैसला नहीं लेता।






















