दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि विभिन्न संगठनों और राजनीतिक दलों द्वारा चलाए जा रहे अभियानों के कारण सार्वजनिक डोमेन में स्पैम कॉल्स की बाढ़ आ गई है। याचिका में दावा किया गया है कि ये कॉल्स नागरिकों के निजता के अधिकार का गंभीर उल्लंघन हैं, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि इन स्पैम कॉल्स से न केवल आम नागरिकों को असुविधा हो रही है, बल्कि यह निजता के अधिकार के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। याचिका में न्यायालय से यह अपील की गई है कि वह इस मुद्दे पर सख्त कदम उठाए और इन कॉल्स पर रोक लगाने के लिए दिशानिर्देश जारी करे।
मामले की सुनवाई आज उच्च न्यायालय में होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है और क्या इससे निजता के अधिकार को लेकर नए मानक स्थापित किए जाएंगे।