नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को तुर्की की कंपनी सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड की एक याचिका पर सुनवाई शुरू की। कंपनी ने ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (बीसीएएस) के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए उसकी सुरक्षा मंजूरी 15 मई 2025 को रद्द कर दी गई थी। इस फैसले का असर दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद सहित देश के नौ प्रमुख हवाई अड्डों पर सेलेबी की ग्राउंड हैंडलिंग सेवाओं पर पड़ा है।
सेलेबी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में दलील दी कि बीसीएएस ने मंजूरी रद्द करने का कोई ठोस कारण नहीं दिया और न ही कंपनी को सुनवाई का अवसर प्रदान किया गया। रोहतगी ने कहा कि यह फैसला कंपनी के तुर्की मूल के शेयरधारकों को लेकर सार्वजनिक धारणा से प्रभावित हो सकता है, लेकिन केवल इस आधार पर किसी कंपनी को दंडित नहीं किया जा सकता। उन्होंने जोर दिया कि सेलेबी भारत में कानून के दायरे में काम करने वाली एक वैध कंपनी है और इसे “दुष्ट संस्था” के रूप में वर्गीकृत करना गलत है।
रोहतगी ने यह भी बताया कि सुरक्षा मंजूरी का यह मामला एयरक्राफ्ट सिक्योरिटी रूल्स, 2011 के तहत आता है, जब जस्टिस सचिन दत्ता ने मंजूरी देने वाले विशिष्ट प्रावधानों के बारे में सवाल किया। दूसरी ओर, केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बीसीएएस का पक्ष रखा।
बीसीएएस ने सेलेबी और उसकी सहयोगी कंपनियों की सुरक्षा मंजूरी रद्द करने का फैसला तुर्की और पाकिस्तान के बीच कथित सैन्य सहयोग को लेकर लिया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, तुर्की ने पाकिस्तान को सैन्य ड्रोन और तकनीकी सहायता प्रदान की थी, जिसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ हमलों में किया गया। सेलेबी, जो 2008 से भारत में संचालित हो रही है, दिल्ली, मुंबई, चेन्नई जैसे प्रमुख हवाई अड्डों पर संवेदनशील ग्राउंड हैंडलिंग और कार्गो सेवाएं प्रदान करती है। कंपनी प्रति वर्ष 5,40,000 टन से अधिक कार्गो को संभालती है और इंडिगो, एयर इंडिया जैसी एयरलाइंस के साथ काम करती है।
हालांकि, सेलेबी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उसका तुर्की सरकार से कोई संबंध नहीं है और भारत में उसका कारोबार पूरी तरह से भारतीय पेशेवरों द्वारा संचालित है। कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया कि तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन की बेटी सुमेये एर्दोगन का कंपनी में कोई शेयर नहीं है, जैसा कि कुछ अफवाहों में दावा किया गया था।
हवाई अड्डों पर संचालन और कर्मचारियों का भविष्य
इस फैसले से प्रभावित हवाई अड्डों पर संचालन को सुचारू रखने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने आश्वासन दिया है कि सेलेबी के कर्मचारियों को बनाए रखने और यात्रियों व कार्गो हैंडलिंग को निर्बाध रखने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। दिल्ली हवाई अड्डे ने भी सेलेबी के साथ अपने संबंध समाप्त करने की घोषणा की, लेकिन संचालन में निरंतरता और कर्मचारियों की सुरक्षा का वादा किया।
राजनीतिक और आर्थिक निहितार्थ
यह कदम भारत सरकार का एक सख्त संदेश माना जा रहा है कि पाकिस्तान का समर्थन करने वाले देशों को आर्थिक नतीजे भुगतने होंगे। तुर्की के खिलाफ भारत में बढ़ते असंतोष के बीच, ईजमायट्रिप, मेकमायट्रिप और इक्सिगो जैसी ट्रैवल कंपनियों ने तुर्की और अजरबैजान की गैर-जरूरी यात्राओं से बचने की सलाह दी है। शिवसेना नेता मुरजी पटेल ने भी सेलेबी की परिचालन अनुमति रद्द करने की मांग करते हुए कहा था कि तुर्की का पाकिस्तान समर्थन भारत की संवेदनशील बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में तुर्की से जुड़ी कंपनियों के संचालन को लेकर गंभीर चिंता पैदा करता है।
दिल्ली हाई कोर्ट में यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा, व्यापारिक हितों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के बीच संतुलन को लेकर एक महत्वपूर्ण बहस का केंद्र बन गया है। कोर्ट के फैसले पर सभी की नजरें टिकी हैं।