दिल्ली विधानसभा चुनाव होने के बाद अब CM तय कर दिया गया है। दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री के रूप में रेखा गुप्ता के नाम पर सहमति बनी है। जबकि दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल को हराने वाले प्रवेश वर्मा को डिप्टी सीएम बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों का शपथ ग्रहण 20 फरवरी को रामलीला मैदान में होगा।
इंडी गठबंधन राजनीतिक मृत्यु के आगोश में… ममता के महाकुंभ वाले बयान पर JDU का पलटवार
कैसे तय हुआ दिल्ली का नया नेतृत्व?
दिल्ली में सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा को अपनी नई सरकार बनाने की जिम्मेदारी मिली। इसके लिए पार्टी के दो वरिष्ठ पर्यवेक्षक – रविशंकर प्रसाद और ओम प्रकाश धनखड़ ने भाजपा दफ्तर में विधायकों से एक-एक करके चर्चा की। यह कवायद काफी गोपनीय रखी गई थी ताकि अंतिम फैसले तक किसी भी तरह की राजनीतिक उथल-पुथल न हो।
सूत्रों के मुताबिक, RSS की ओर से रेखा गुप्ता का नाम आगे बढ़ाया गया, जिसे भाजपा ने स्वीकार कर लिया। इसके पीछे वजह यह बताई जा रही है कि रेखा गुप्ता संघ के नजदीकी मानी जाती हैं और भाजपा की कोर विचारधारा को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
रेखा गुप्ता: कौन हैं दिल्ली की नई CM?
रेखा गुप्ता दिल्ली की राजनीति में एक जाना-पहचाना नाम हैं। वे भाजपा की ओर से दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) की अध्यक्ष रह चुकी हैं और महिला मोर्चा में भी उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है। उन्हें संघ की विचारधारा को मजबूती से लागू करने और संगठन को एकजुट रखने के लिए जाना जाता है। रेखा गुप्ता का मुख्यमंत्री बनना इस बात का संकेत है कि भाजपा अब दिल्ली में जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है और महिला नेतृत्व को प्राथमिकता देने की रणनीति अपना रही है।
प्रवेश वर्मा: मजबूत राजनीतिक विरासत और अनुभव
डिप्टी सीएम के रूप में नियुक्त प्रवेश वर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं और दिल्ली में जाट समुदाय के प्रभावशाली नेता माने जाते हैं। भाजपा ने उन्हें यह जिम्मेदारी देकर जातीय समीकरण को साधने की कोशिश की है। प्रवेश वर्मा का प्रशासनिक अनुभव और जनता से जुड़ाव इस फैसले को और मजबूत बनाता है। उनकी आक्रामक शैली और साफ-सुथरी छवि भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।
विजेंद्र गुप्ता को विधानसभा स्पीकर की बड़ी जिम्मेदारी
भाजपा ने विजेंद्र गुप्ता को दिल्ली विधानसभा का स्पीकर नियुक्त किया है। वे दिल्ली भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और विपक्ष के नेता के तौर पर भी उन्होंने मजबूत भूमिका निभाई थी। विधानसभा स्पीकर के रूप में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी, खासकर जब भाजपा की सरकार को कई विधायी बाधाओं को पार करना होगा।
इस पूरे घटनाक्रम से साफ है कि भाजपा ने RSS के प्रस्ताव को पूरी तरह स्वीकार करते हुए दिल्ली में अपना नेतृत्व तय किया है। यह फैसला भाजपा की रणनीति को दर्शाता है, जिसमें अनुभवी और जमीनी नेताओं को आगे लाने, महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने और जातीय संतुलन बनाए रखने पर जोर दिया गया है।