बिहार के चर्चित व्यवसायी गोपाल खेमका हत्याकांड को लेकर राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) विनय कुमार ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि पटना पुलिस और एसटीएफ की टीम इस मामले में लगातार और कारगर ढंग से काम कर रही है। तकनीकी अनुसंधान में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, हालांकि फिलहाल इससे जुड़ी कोई जानकारी साझा नहीं की जा सकती।
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डीजीपी विनय कुमार ने कहा कि “हम उम्मीद कर रहे हैं कि बहुत जल्द इस कांड का खुलासा होगा और अपराधी सलाखों के पीछे होंगे।” उन्होंने यह भी जानकारी दी कि एसटीएफ की टीम ने कल इस केस की विस्तृत जांच की है। जब मीडिया द्वारा पुलिस के देर से पहुंचने के सवाल पर जवाब मांगा गया तो डीजीपी ने स्वीकार किया कि घटनास्थल पर पहुंचने में थोड़ा विलंब हुआ।
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उन्होंने कहा, “जब घटना हुई, तब घायल को तत्काल मेडिवर्सल अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल में 12:30 बजे के करीब पहुंचा गया था। कुछ ही मिनट बाद कंकड़बाग थाना प्रभारी भी मौके पर पहुंच चुके थे। प्राथमिकता थी कि घायल को तुरंत अस्पताल पहुंचाया जाए।” उन्होंने यह भी साफ कहा कि यदि कोई अधिकारी लापरवाही का दोषी पाया जाता है, तो उसे निलंबित किया जाएगा।
सुरक्षा हटाए जाने पर भी सवाल
गोपाल खेमका को पहले पुलिस सुरक्षा मिली थी? इस पर पूछे जाने पर डीजीपी ने बताया कि “2018 में उन्हें अंगरक्षक प्रदान किया गया था, जब उनके भाई गुंजन खेमका हत्याकांड के बाद उन्हें खतरा महसूस हुआ था। तब से छह वर्षों तक सुरक्षा दी गई थी।”लेकिन अप्रैल 2024 के बाद उनके पास बॉडीगार्ड नहीं था। इस पर डीजीपी ने कहा कि “इस मामले की भी जांच की जा रही है कि किस कारण सुरक्षा हटाई गई और क्या खेमका ने खुद बॉडीगार्ड हटाने का अनुरोध किया था। पत्राचार और आदेशों की पड़ताल की जा रही है। अगर इसमें किसी पदाधिकारी की लापरवाही सामने आती है, तो उस पर भी कार्रवाई की जाएगी।”
पूछताछ और छापेमारी जारी
डीजीपी ने बताया कि इस कांड में संदेह के आधार पर दर्जनों लोगों को डिटेन किया गया है और उनसे पूछताछ चल रही है। तकनीकी अनुसंधान के जरिए हत्यारों तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि बेउर जेल से भी इस हत्याकांड के तार जुड़ने की संभावना जताई जा रही है। इसी क्रम में जेल में छापेमारी की गई, जहां कई मोबाइल बरामद हुए हैं और कुछ जेलकर्मियों को सस्पेंड भी किया गया है।