Dinara Vidhan Sabha 2025: बिहार की राजनीति में रोहतास जिले की दिनारा विधानसभा सीट (संख्या 210) एक ऐसी क्षेत्रीय सीट है, जहां हर चुनावी मोड़ ने राजनीति की दिशा बदल दी है। 1951 में अस्तित्व में आई यह सीट बक्सर लोकसभा क्षेत्र के छह प्रमुख विधानसभा खंडों में शामिल है। अब तक संपन्न 17 चुनावों में दिनारा ने कभी किसी एक पार्टी को स्थायी प्रभुत्व नहीं दिया। कांग्रेस ने पांच बार, जनता दल (यूनाइटेड) चार बार, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने तीन बार जीत दर्ज की है। जनता दल दो बार विजयी रहा, जबकि जनता पार्टी, बसपा और राजद को एक-एक बार सफलता मिली।
चुनावी इतिहास
दिनारा का राजनीतिक इतिहास उतार-चढ़ाव और उम्मीदवारों की लोकप्रियता के इर्द-गिर्द घूमता है। इस सीट से सबसे ज्यादा बार जीतने वाले नेता रामधनी सिंह रहे। उन्होंने 1990 और 1995 में जनता दल से, 2000 और फरवरी 2005 में जेडीयू के टिकट पर लगातार चार बार विधायक का पद हासिल किया। नवंबर 2005 में उन्हें बसपा की सीता सुंदरी देवी के हाथों 884 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा।
हाल के चुनावों में 2020 में आरजेडी के विजय कुमार मंडल ने एलजेपी के राजेंद्र प्रसाद सिंह को 7 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया। इसके ठीक पहले 2015 में जेडीयू के जयकुमार सिंह ने भाजपा के राजेंद्र प्रसाद सिंह को 2,691 वोटों से मात दी थी। जयकुमार सिंह पहली बार 2010 में ही विधानसभा पहुंचे थे। ये परिणाम इस सीट की अस्थिर राजनीतिक प्रवृत्ति और मतदाताओं की बदलती प्राथमिकताओं को दर्शाते हैं।
जातीय समीकरण
जातीय समीकरण इस विधानसभा का चुनावी परिदृश्य तय करने में निर्णायक भूमिका निभाता है। दिनारा में करीब 45 फीसदी OBC मतदाता हैं। यादव समुदाय आम तौर पर राजद (RJD) के साथ जुड़ा रहता है, जबकि कुर्मी और कोइरी समुदाय भाजपा और जेडीयू को प्राथमिकता देते हैं। ऊंची जातियों में भूमिहारों का वर्चस्व है और ये लगभग 25 फीसदी हैं, जो ज्यादातर भाजपा के समर्थक माने जाते हैं। दलित मतदाता 20 फीसदी के आसपास हैं, जिसमें रविदास उपजाति जेडीयू और पासवान समुदाय एलजेपी या भाजपा के प्रति झुकाव रखता है। मुस्लिम मतदाता लगभग 6.8 फीसदी हैं और उनका रुझान अधिकतर राजद की ओर रहता है।






















