नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यूक्रेन पर दबाव की रणनीति और रूस के साथ जारी संघर्ष में शांति स्थापना की कोशिशें एक बार फिर सुर्खियों में हैं। हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप ने यूक्रेन को मिसाइलें भेजकर रूस पर दबाव बनाने की कोशिश की, लेकिन रूस ने यूक्रेन पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है, जिससे शांति स्थापना के प्रयास असफल होते नजर आ रहे हैं।
ट्रंप के शपथ ग्रहण के बाद से रूस-यूक्रेन संघर्ष में नई राहत की उम्मीदें जगी थीं, लेकिन हाल के घटनाक्रमों ने इन उम्मीदों को धराशायी कर दिया है। सऊदी अरब में आयोजित शांति वार्ताओं में ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लादिमीर ज़ेलेंस्की के साथ बातचीत की, लेकिन इन वार्ताओं को बीच में ही छोड़ दिया गया। ज़ेलेंस्की के साथ ट्रंप के रिश्ते भी बिगड़ते गए, जिसने शांति प्रक्रिया को और जटिल बना दिया।
रूस की ओर से यूक्रेन पर लगातार मिसाइल हमले जारी हैं, जिसमें आम नागरिकों की जान जाने की खबरें सामने आ रही हैं। हाल ही में, रूस ने यूक्रेन के सुमी शहर पर दो बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया, जिसमें 35 लोगों की मौत हो गई और 117 से अधिक घायल हुए। इस हमले को इस साल का सबसे घातक माना जा रहा है। ज़ेलेंस्की ने इस हमले को आतंकवाद करार देते हुए अमेरिका और यूरोप से रूस पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
ट्रंप की रणनीति पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि रूस ने यूक्रेन पर अपना नियंत्रण और मजबूत कर लिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की दबाव की नीति ने रूस को और मजबूत किया है, जबकि यूक्रेन की स्थिति कमजोर हुई है। रूस ने यूक्रेन पर 100 से अधिक ड्रोन हमले किए हैं, जिसमें कई नागरिकों की जान चली गई है।
इस बीच, यूक्रेन ने रूस के साथ सीधे बातचीत की मांग की है, लेकिन रूस ने किसी भी बड़ी रियायत से इनकार किया है। रूसी उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने कहा है कि मॉस्को गंभीर बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन उन्हें यूक्रेन की वार्ता करने की क्षमता पर संदेह है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस संघर्ष को लेकर चिंतित है, क्योंकि यह न केवल यूक्रेन की संप्रभुता को प्रभावित कर रहा है, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा पर भी गंभीर असर डाल रहा है। ट्रंप की शांति स्थापना में असफलता ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, और भविष्य में इस संघर्ष का क्या रूप लेगा, यह देखना अभी बाकी है।