पाकिस्तान ने 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित बलूच मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ महरंग बलूच के खिलाफ आतंकवाद का आरोप लगाते हुए एक केस दर्ज किया है। डॉ महरंग बलूच, जो बलूच यकजेहती समिति (BYC) की मुख्य आयोजक हैं, पर आरोप है कि उन्होंने पाकिस्तान के क्वेटा स्थित सिविल अस्पताल के मुर्दाघर पर हमला किया और इस महीने की शुरुआत में ट्रेन हाइजैक के दौरान मारे गए पांच विद्रोहियों के शव को लेकर भाग गईं।
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रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की पुलिस ने शनिवार, 22 मार्च को डॉ महरंग बलूच और उनके संगठन के 150 अन्य सदस्यों के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। पुलिस अधिकारियों ने क्वेटा में डॉ महरंग बलूच और 17 अन्य लोगों को सार्वजनिक व्यवस्था रखरखाव अध्यादेश की धारा 3 के तहत गिरफ्तार कर के क्वेटा जिला जेल में डाल दिया। इस घटना के बाद से, क्वेटा और आसपास के इलाकों में इंटरनेट सेवाएं चौथे दिन भी बंद रही हैं।
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यह मामला क्वेटा के सिविल अस्पताल से जुड़ा है, जहां आरोप है कि BYC के सदस्य मुर्दाघर में घुसे और मारे गए विद्रोहियों के शवों को ले गए। ये शव ट्रेन हाइजैक के खिलाफ हुए ऑपरेशन में मारे गए थे। पाकिस्तान सरकार और बलूचिस्तान की पुलिस द्वारा इस कदम को आतंकवाद के रूप में देखा जा रहा है।
कौन हैं डॉ महरंग बलूच
डॉ महरंग बलूच, बलूचिस्तान की प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं, जिन्हें 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया है। उन्हें 2024 में बीबीसी द्वारा 100 सबसे प्रभावशाली और प्रेरक महिलाओं में शामिल किया गया था। टाइम मैगजीन ने उन्हें अपने “100 अगले उभरते नेताओं” में से एक के रूप में स्थान दिया है। डॉ महरंग बलूच ने बलूचिस्तान में पाकिस्तानी अधिकारियों, खासकर सेना, पुलिस और खुफिया एजेंसियों द्वारा किए गए मानवाधिकार उल्लंघनों के खिलाफ लगातार अभियान चलाया है। वे बलूचिस्तान में नागरिकों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठा रही हैं और क्षेत्र में जारी अत्याचारों के खिलाफ मुखर रही हैं। उनकी गिरफ्तारी को लेकर कई मानवाधिकार संगठनों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने चिंता व्यक्त की है।