नई दिल्ली: बसंत के मौसम में जेठ की गर्मी क्लाईमेट चेंज का दस्तक दे रहा है । बता दें भारत समेत एशिया के कई देशों में वक्त से पहले ही गर्मी पड़नी शुरू हो गई है। आलम ये है कि तापमान कुछ-कुछ मई-जून जैसा फील दे रहा है। हालात ये हैं कि फरवरी और मार्च में ही इतनी गर्मी पड़नी शुरू हो गई है कि हर कोई परेशान है। लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि जब अभी ये हाल है तो आगे क्या होगा? अभी मई और जून की गर्मी आनी बाकी है। धरती का तापमान बढ़ाने में दुनिया के हर देश जिम्मेदार हैं, मगर चीन-अमेरिका समेत कुछ देश ऐसे हैं, जहां तापमान चरम पर है।
जानते हैं बेमौसम गर्मी बढ़ने के पीछे की कहानी। प्रदूषण के मामले में वैसे तो धरती को सबसे ज्यादा नुकसान अमेरिका ने पहुंचाया है। मगर, बीते कई साल से चीन ने प्रदूषण फैलाने में बढ़त बना रखी है। 2023-24 में चीन ने कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड समेत कई तरह की ग्रीन हाउस गैसों का सबसे ज्यादा उत्सर्जन किया। खास बात यह है कि दुनिया के कुल ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन का 30 फीसदी अकेले चीन ने किया। इसके बाद अमेरिका और भारत है। इसके बाद यूरोपीय संघ, रूस, जापान, ब्राज़ील और अन्य देश हैं। 20 सबसे ज्यादा जहरीली हवा फैलाने वाले देश दुनिया के कुल प्रदूषण के 83 फीसदी के लिए जिम्मेदार हैं।
बीते 20 महीनों से वैश्विक औसत तापमान पूर्व औद्योगिक औसत तापमान से 1.5 डिग्री से ज्यादा गर्म रहा। यह लिमिट पेरिस समझौते से तय की गई थी। यानी इस लिमिट का सरासर उल्लंघन हो रहा है। दुनिया में तेजी से औद्योगीकरण के दौरान कोयला, पेट्रोलियम जैसे जीवाश्म ईंधनों के अंधाधुंध इस्तेमाल से ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ता चला गया और धरती के आसमान में एक जहरीली चादर सी ओढ़ा दी गई। इसी वजह से धरती का तापमान बढ़ रहा है। इससे दुनिया में कहीं बाढ़, भूस्खलन, भूकंप, सूखा और चक्रवाती तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाएं आ रही हैं। कॉपर्निकस क्लाइमेट चेंज सर्विस के अनुसार, 2024 दुनिया का सबसे गर्म साल रहा।
ये पहला कैलेंडर ईयर रहा जब वैश्विक औसत तापमान पूर्व औद्योगिक औसत से डेढ़ डिग्री से ऊपर चला गया। पिछले साल के औसत ने ही रिकॉर्ड नहीं तोड़ा, बल्कि पिछले साल का हर महीना बीते सभी सालों के उसी महीने से ज्यादा गर्म रहा। 2024 के इतना गर्म होने के पीछे सबसे बड़ी वजह मानव जनित कारणों से तापमान का बढ़ना है। इसके अलावा अलनीनो जैसी मौसमी प्रक्रियाएं भी पिछले साल के ज्यादा गर्म रहने की बड़ी वजह रही है।