जालंधर से एक बड़ी कार्रवाई सामने आई है, जहां प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने साइकोट्रॉपिक दवाओं की अवैध बिक्री के जरिए करोड़ों रुपये की काली कमाई करने वाले नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। ईडी ने 9 दिसंबर को अभिषेक कुमार को गिरफ्तार किया, जिस पर ट्रामाडॉल और अल्प्राज़ोलम जैसी नियंत्रित दवाओं की गैरकानूनी सप्लाई से भारी मात्रा में अवैध धन अर्जित करने का आरोप है। यह गिरफ्तारी मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) 2002 के तहत की गई, जिसके बाद आरोपी को स्पेशल कोर्ट, SAS नगर में पेश किया गया और अदालत ने उसे छह दिन की ईडी हिरासत में भेज दिया।
ईडी की जांच पंजाब पुलिस की उस एफआईआर से शुरू हुई जो एनडीपीएस एक्ट 1985 के तहत दर्ज की गई थी। इसमें बड़े पैमाने पर इंटर-स्टेट साइकोट्रॉपिक दवाओं की तस्करी की आशंका जताई गई थी। इसके बाद एजेंसी ने अभिषेक कुमार और उसके संपर्कों से जुड़े 16 ठिकानों पर तलाशी ली, जहां से कई अहम दस्तावेज और रिकॉर्ड बरामद किए गए। जांच में सामने आया कि यह नेटवर्क विभिन्न दवा कंपनियों से बड़ी मात्रा में ट्रामाडॉल व अल्प्राज़ोलम टैबलेट खरीदकर उन्हें काले बाजार में कई गुना कीमत पर बेच रहा था, जिससे अपराध की आय (Proceeds of Crime) लगातार बढ़ रही थी।
ईडी ने यह भी खुलासा किया कि दवा जगत के कई थोक व्यापारी और रिटेलर इस अवैध गतिविधि में शामिल थे। वे बायोजेनेटिक ड्रग्स प्राइवेट लिमिटेड, स्माइलैक्स फार्माकेम, एस्टर फार्मा और CB हेल्थकेयर जैसी कंपनियों से साइकोट्रॉपिक दवाएं खरीदते और अवैध रूप से पेडलर्स के जरिए बाजार में बेच देते थे। अभिषेक कुमार अपनी फर्म श्री श्याम मेडिकल एजेंसी के माध्यम से इन दवाओं का बड़ा स्टॉक हासिल करता था और लगभग 75 प्रतिशत माल को बुक्स में दिखाए बिना काले बाजार में खपा देता था। इस अवैध कारोबार को छिपाने के लिए बिलों में बॉक्स की संख्या गलत दर्शाई जाती थी ताकि लेनदेन ‘कानूनी’ दिख सके। इस तरीक़े से नेटवर्क ने करीब 3.75 करोड़ रुपये की काली कमाई नकद में इकट्ठी की।
















